सावन में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मिलता है बहुत लाभ, पूरी होंगी सारी मनोकामनाएं
12 Jyotirlinga List: हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का बहुत महत्व है. माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों में भगवान महादेव ज्योति के रूप में मौजूद रहते हैं. देश के इन प्रमुख तीर्थों के दर्शन जरूर करने चाहिए.
12 Jyotirlinga Name in Hindi: भगवान शिव को समर्पित सावन मास शुरू हो चुका है. इस महीने में भोलेनाथ की पूजा-आराधना करना बहुत पुण्य लाभ देता है. जीवन में सुख-समृद्धि आती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इसके साथ-साथ सावन महीने में भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों, ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने का बहुत महत्व है. यही वजह है कि सावन के महीने में लाखों शिव भक्त ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने के लिए उज्जैन, काशी, हरिद्वार आदि समेत भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाते हैं. पुराणों में भी इन 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है.
ज्योति के रूप में मौजूद हैं भोलेनाथ
पुराणों के अनुसार भगवान शिव जहां-जहां प्रकट हुए, उन स्थानों पर इनकी पूजा ज्योतिर्लिंगों के रूप में होती है. शिव पुराण के अनुसार इन ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव स्वयं ज्योति के रूप में विराजमान रहते हैं. आइए जानते हैं कि ये ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं और कहां स्थित हैं.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सौराष्ट्र (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में हैं. इस प्रसिद्ध मंदिर को 6 बार ध्वस्त और निर्मित किया जा चुका है. इस मंदिर की समृद्धता देखकर महमूद गजनवी ने इस पर हमला किया और लूटकर काफी नुकसान पहुंचाया. बाद में इसका जीर्णोद्धार करवाया गया. इस ज्योतिर्लिंग को भारत ही नहीं बल्कि पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है.
श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हैं. श्रीशैल पर्वत पर स्थित इस मंदिर के पास कृष्णा नदी बहती है. इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं. शिव पुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. यह एकमात्र शिवलिंग है, जो दक्षिणमुखी है. यहां हर रोज सुबह होने वाली भस्म आरती विश्वप्रसिद्ध है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में ही मोरटक्का के पास है. यहां ओंकारेश्वर और मामलेश्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, लेकिन ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं. ओंकारेश्वर लिंग को स्वयंभू समझा जाता है. यह जो ज्योतिर्लिंग है, वह ओंकार अर्थात ॐ का आकार लिए हुए है, इस वजह से इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाता है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: केदारनाथ धाम बहुत प्रसिद्ध है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय के केदार पर्वत पर स्थित है. यह उत्तराखंड राज्य में आता है. शिव पुराण के अनुसार जिस प्रकार भगवान शिव के स्थान कैलाश पर्वत का महत्व है, वैसे ही केदार क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे से उत्तर में सह्याद्रि पर्वत पर विराजमान हैं. यह जगह नासिक से करीब 120 मील दूर है. मान्यता है कि जो भी भक्त सूर्य निकलने के बाद इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है और गंगा तट पर काशी में स्थित है. सभी तीर्थ स्थलों में काशी का विशेष महत्व है. माना जाता है कि प्रलय आने पर इस क्षेत्र की रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय टल जाने के बाद काशी को फिर से उसके स्थान पर रख देंगे.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. इसी स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है. माना जाता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर भगवान शिव यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते हैं.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: वैद्यनाथ मंदिर झारखंड के देवघर में है. इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं. यह सिद्धपीठ है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में द्वारका के करीब स्थित है. नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर. धर्म-पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को नागों का देवता माना जाता है. माना जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग: श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु के रामनाड जिले में है. माना जाता है कि लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने यहीं अपने आराध्यदेव शंकर की पूजा की थी. इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या रामेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: श्रीघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद स्टेशन से 12 मील दूर बेरूल गांव के पास है. इस मंदिर में पुरुषों की वेशभूषा को लेकर कुछ नियम हैं, उनका पालन करने पर ही इस मंदिर में प्रवेश मिलता है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है. यहां पर एकनाथ गुरु और श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)