Ramayan Story: आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर किस घड़ी में कपिश्रेष्ठ ने राम को मदद करने से इंकार कर दिया था. हनुमान की ओर से ना सुनने के बाद प्रभु राम चौंक गए थे. तो ये हम बताएंगे सबसे अंत में. लेकिन, सबसे पहले जानते हैं कि दोनों के बीच इस दौरान संवाद क्या हुआ था.
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Ramayan Story: पवन पुत्र हनुमान को प्रभु राम का सेवक माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक वक्त ऐसा भी आया था जब हनुमान ने राम के सामने उनके मुंह पर ही मदद करने से इंकार कर दिया था. जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने. लेकिन कब और कैसे? अगर आपको इस बात के बारे में जानकारी नहीं है तो इस स्टोरी को पढ़ कर आप जान सकते हैं.
हनुमान जी के हृदय में था राम दरबार
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बजरंगबली हनुमान जी अपने दिल में राम दरबार लेकर चलते थे. जब कभी भी मौका मिलता था सीना चीरकर दिखा देते थे कि उनके सीने में हरदम सिया-राम रहते हैं. इसके अलावा मौका पाते ही वह राम नाम के जाप में लग जाते थे. प्रभु राम की सेवा में हनुमान इतने समर्पित थे कि उन्हें लोग रामदूत के नाम से भी जानते हैं.
क्या हुआ था संवाद
आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर किस घड़ी में कपिश्रेष्ठ ने राम को मदद करने से इंकार कर दिया था. हनुमान की ओर से ना सुनने के बाद प्रभु राम चौंक गए थे. तो ये हम बताएंगे सबसे अंत में. लेकिन, सबसे पहले जानते हैं कि दोनों के बीच इस दौरान संवाद क्या हुआ था.
अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा पकड़ा
दरअसल, जब प्रभु राम ने अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा छोड़ा जिसके बाद उस घोड़े को लव-कुश ने पकड़ लिया. काफी समझाने बुझाने के बाद भी जब दोनों बालक नहीं माने तब जाकर राम की ओर से योद्धा लड़ने पहुंचे. इस दौरान वहां हनुमान जी भी घोड़ा को छुड़ाने के लिए युद्ध करने पहुंचे. लव-कुश दोनों बालकों ने मिलकर हनुमान जी सामान्य बंदर समझकर बंदी बना लिया.
हनुमान जी को देखकर राम रह गए दंग
जब एक-एककर सारे योद्धा पराजित हो गए तब प्रभु राम खुद घोड़ा छुड़ाने के लिए पहुंचे. वहां पहुंचते ही देखा कि हनुमान जी चुपचाप बैठे हुए हैं. तभी राम जी ने चौंकते हुए कहा कि हनुमान, ये क्या? तुम जैसा परमबीर इस प्रकार दुबक कर बैठा है.
हनुमान जी ने मदद से किया इंकार
प्रभु राम की ओर से इस बात को सुनते ही हनुमान जी ने तुरंत उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि इस समय मैं अपनी वीरता नहीं दिखा सकता. मैं आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता हूं. मैं इनका (लव-कुश की ओर इशारा करते हुए) बंदी हूं. दया करके मेरे हाथ पांव खोल दीजिए तभी मैं आपको मदद कर सकता हूं. ऐसा देख प्रभु राम खुद चौंक गए. ये संवाद रामानंद कृत रामायण सीरियल में दिखाया गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)