Chanakya Niti On Relationships: आचार्य चाणक्य की नीतियां बरसों से लोगों को सही पथ पर चलने की प्रेणना देती आ रही है. चाणक्य ने ऐसी कई बातें कही है जो आज के समय में सही साबित होती है. इन अपनाकर सही पथ और जीवन में सफलता मिलने में मदद मिलती है. आचार्य चाणक्य ने रिश्तों को लेकर भी कुछ बातें कही है. कई बार ऐसी होता है हम किसी रिश्ते को संभाल नहीं पाते और किस्मत को दोष देने लगते हैं, लेकिन रिश्ते टूटने का कारण व्यक्ति खुद होता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार रिश्ते टूटने की तीन वजह होती है. 


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वे कहते हैं कि जब मन में वहन या शक, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला होने लगे तो रिश्ता टूटने में देर नहीं लगती. वे कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति के रिश्ते में ये तीनों चीजों का महत्व बढ़ जाए तो ऐसे रिश्ते की हार निश्चित है. 


शक और वहम


आचार्य चाणक्य के अनुसार जब मन में वहन या शक का बीज उगने लगे तो सामने वाला व्यक्ति कितनी भी कोशिश करें रिश्ता बचा नहीं पाता. ऐसे समय वह सही बात को भी गलत ही समझेगा. वहम और शक का कीड़ा रिश्ते खा जाता है. 


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जिद या अहंकार


जिद और अहंकार दोनों ही रिश्तों के सबसे बड़े दुश्मन है. अहंकारी व्यक्ति सामने वालों की बातों को तवज्जों नहीं देते. ऐसा व्यक्ति सामने वाले को अपने से कम ही समझता है. वहीं जिद भी रिश्ते खराब करती है. अपनी जिद की वजह से अक्सर व्यक्ति सामने वाले को खो देता है. जिद्दी व्यक्ति किसी को भी नहीं भाता. अपनी और सामने वाले की च्वाइस की कदर करना एक रिश्ते की नींव होती है.


मुकाबला


रिश्ते दो लोगों के बीच प्यार और विश्वास से चलते हैं. रिश्तों में मुकाबला नहीं होना चाहिए. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर दो लोगों के बीत मुकाबला होने लगे तो रिश्ता ज्यादा दिन नहीं टिकता. रिश्तों में मुकाबला होने लगे तो झगड़े बढ़ने लगते हैं. ऐसे में कोई भी एक दूसरे को नीचा दिखने से नहीं चूकता. अंत से इनका रिश्ता हम तोड़ देता है.


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)