Guru Grah: राहु, केतु, शनि ही नहीं गुरु ग्रह भी बिगाड़ सकते हैं जीवन, अज्ञान बढ़ाता है संघर्ष
Guru Grah: आमधारणा है कि शनि और राहु-केतु ग्रह जीवन में बाधाएं, कष्ट, गरीबी, संघर्ष, दुर्घटना-बीमारियों का कारण बनते हैं. जबकि अन्य ग्रह भी अशुभ फल दे सकते हैं. आज कुंडली में अशुभ ग्रह के कारण जीवन पर होने वाले प्रभाव के बारे में जानते हैं.
Guru in Kundli: लोग मानते हैं कि कुंडली में शनि, राहु, केतु ग्रह ही जीवन में बाधाएं लाने वाले, कष्टों को देने वाले होते हैं. जब कभी जीवन में एक के बाद एक परेशानियां आती हैं और उनसे निजात पाने के प्रयास भी असफल हो जाते हैं तो व्यक्ति मान लेता है कि यह इन 3 ग्रहों में से ही किसी ग्रह का असर है. ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता है कि उनकी जन्म कुंडली में जो बृहस्पति गुरु बैठे हुए हैं, वे भी जिंदगी को संघर्ष से भर सकते हैं. आइए जानते हैं कि कुंडली में गलत जगह पर बैठे बृहस्पति ग्रह कैसे करियर बिगाड़ देते हैं.
लक्ष्य से भटक जाता है जातक
देवगुरु बृहस्पति का काम गुरु का ही है, जो हर किसी गुरु का होता है. जिस तरह से गुरु अपने शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर लाने का कार्य करता है. जब शिक्षक अपने शिष्यों को सही रास्ते पर लाने का कार्य करता है, तो वह शिष्य भी आगे चल कर योग्य बन कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है किंतु यदि किसी व्यक्ति का गुरू उसे शिक्षा से वंचित रखता है या उसे शिक्षा नहीं देता है तो उस व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य ही बदल जाता है, ऐसे गुरुओं का शिष्य भी न चाहते हुए भी अपने लक्ष्य से भटक जाता है.
जिस तरह किसी भी व्यक्ति का जीवन गुरु पर निर्भर करता है, ठीक उसी तरह व्यक्ति की पूरी लाइफ का रिजल्ट कहीं न कहीं जन्म कुंडली के अंदर कि बैठे गुरुदेव बृहस्पति के हाथों में होता है. गुरु ही जातक की किस्मत बनाते और बिगाड़ते हैं. व्यक्ति की अच्छी शिक्षा, अच्छा विकास और सही समय पर निर्णय लेने की क्षमता सब कुछ बृहस्पति ग्रह के हाथों में ही होती है.
खत्म हो जाती है धन-समृद्धि
बृहस्पति के मामले में एक बात और अहम है कि मजबूत नींव पर ही मजबूत बिल्डिंग खड़ी होती है, उसी तरह से किसी भी व्यक्ति के जीवन में भी नींव मजबूत होनी चाहिए. इधर व्यक्ति के जीवन की नींव का अर्थ है आपके पुरखे अर्थात आपके पिताजी, दादा और परदादा. पारिवारिक मजबूत नींव बनाने का कार्य भी बृहस्पति गुरु ही करते हैं.
आपने देखा होगा कि कई परिवारों में दादा के समय पर बहुत धन धान्य रहा लेकिन दादा की उम्र खत्म होते-होते वह धन धान्य भी समाप्त हो गया. दादा के बाद पिता ने खुद चीजों को जीरो से स्टार्ट किया होगा और उनकी संतान भी जीरो पर ही खड़ी दिखती हैं. वह भी अपने संघर्ष से आगे बढ़ पाते हैं. यानी कुंडली में यदि बृहस्पति गुरु खराब हो जाएं तो पुस्तैनी प्रॉपर्टी नहीं मिल पाती है, किसी न किसी कारण से उसका क्षरण हो जाता है.