Ayodhya Shiv Mandir Sthapna: अयोध्या में रामलला की स्थापना के बाद सीएम योगी अब अयोध्या धाम में शिवसाधना कर रहे हैं. इस कड़ी में आज उन्होंने रामसेवकपुरम मंदिर में माथा टेका. शिवसाधना के दौरान योगी रामनाथस्वामी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए. शिवभक्त योगी ने कहा, 'देश में भले ही सरकारें अलग-अलग रही हों, लेकिन हमने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता कहीं नहीं खंडित होने दी. क्योंकि भारत के संतों की परंपरा ने जागरण के माध्यम से इसे मजबूती प्रदान की है'.


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इस मंदिर का निर्माण सनातन धर्म के चार धामों में से एक 'रामेश्वरम' के तर्ज पर किया गया है. रामनगरी की महिमा तो वैसे भी निराली है. रामलला के घर-आंगन में बने इस मंदिर के हवाले से आपको बताते हैं तमिलनाडु के रामेश्वरम धाम की महिमा के बारे में जिसका का बखान खुद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने किया था.


रामेश्वरम की महिमा


रामेश्वरम, एक ऐसा शब्द जिनके नाम लेने से मन को शांति और आत्मा को सुकून मिलता है. रामेश्वरम - मतलब रामस्य ईश्वरः इति रामेश्वरः  अर्थात राम के जो ईश्वर हैं वे रामेश्वर हैं, और राम जिनके ईश्वर हैं वे रामेश्वर हैं. ये है सनातन संस्कृति, जिसमें एक ही ईश्वर अलग अलग रूपों में लीला करके हमें सीख देते हैं . जब भगवान राम रूप में भक्त होते हैं तब भगवान भोलेनाथ के रूप में आराध्य होते हैं और जब भगवान शिव रूप में भक्त होते हैं तब वे ही राम रूप में आराध्य होते हैं.


रामायणकालीन मंदिर


रामेश्वरम और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की महिमा भोलेनाथ के प्रमुख पावन धामों में 12 ज्योतिर्लिंग का सबसे ज्यादा धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों को किसी ने स्थापित नहीं किया है, बल्कि स्वयंभू प्रकट हुए हैं . इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक है रामेश्वरम. भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम को चार धाम बताया गया है.रामेश्वरम की महत्ता दक्षिण भारत में वही है जो उत्तर भारत में काशी विश्वनाथ की है. तमिलनाडु में समुद्र तट पर स्थित रामेश्वरम मंदिर को रामायणकालीन माना जाता है और मान्यता है कि इस मंदिर और शिवलिंग की स्थापना खुद प्रभु श्री राम ने की है. रामेश्वरम की स्थापना से जुड़ी दो अलग-अलग मान्यताएं है.


पहली मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका युद्ध जीतने  के लिए समुद्र किनारे रेत का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की थी जिससे कि वो रावण को युद्ध में हरा सके. इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां ज्योति रूप में प्रकट हुए और प्रभु श्रीराम को जीत का आशीर्वाद दिया था. मंदिर का निर्माण करके इसमें प्रभु श्रीराम ने शिवलिंग को स्थापित किया. कम्ब रामायण और शिव पुराण के कोटिरूद्र संहिता में इसका जिक्र मिलता है. मान्यता है कि इस पूजा में पंडित के रूप में रावण ही थे और पूजा के बाद पंडित के रूप में मौजूद रावण ने उन्हें विजयी भव: का आशीर्वाद भी दिया.


दूसरी मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम लंका विजय करके लौटे तो ऋषि-मुनियों ने उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए शिव पूजन के लिए कहा. इसके बाद प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को कैलाश जाकर शिवलिंग जाने को कहा. लेकिन शिवलिंग लाने में जब हनुमान जी को देर लगी तो माता सीता ने अपने हाथ से शिवलिंग बनाया और रामेश्वरम के पास स्नान करके शिवलिंग की विधिवत पूजा की. इसके बाद उन्हें ब्रह्म हत्या से निजात मिल गई. इसके बाद हनुमान जी जिस शिवलिंग को लेकर आए उसे भी वहीं स्थापित किया गया है. आज भी रामेश्वरम मंदिर में दोनों शिवलिंग विराजमान है. बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से घिरे इस मंदिर स्थाप्त्य कला के लिहाज से बेजोड़ है. ये मंदिर लगभग 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है.


इस मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है. ये गलियारा 1,212 खंभों से बना हुआ और इस गलियारे की नक्काशी बेहद शानदार है. ये गलियारा उत्तर से दक्षिण में 197 मीटर लंबा और पूर्व से पश्चिम में 133 मीटर लंबा है. इस मंदिर का प्रवेश द्वार करीब 40 मीटर ऊंचा है. करीब 6 हेक्टेयर में बने इस मंदिर के गलियारे में 108 शिवलिंग और गणपति के दर्शन होते हैं. मंदिर के भीतर 22 कुएं हैं ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपनी वानर सेना की प्यास बुझाने के लिए अपने बाणों से इन कुओं का निर्माण किया था . द्रविड़ शैली में इस मंदिर का निर्माण किया गया है. रामेश्वरम में हर वर्ष इस ज्योतिर्लिंग को सजाकर पूजा की जाती है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जिस धाम में स्थापित है उसे रामेश्वरम चार धाम के अलावा रामनाथ स्वामी मंदिर भी कहा जाता है.


 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.)