नई दिल्ली : वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है. इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है. हिंदू पंचांग में मौसम को 6 भाहों में विभाजित किया गया है. इसमें वसंत को लोगों का मनचाहा महीना माना जाता है. इस महीने में लोगों के मन में काफी उल्लास रहता है. वसंत पंचमी के दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं. इस बार वसंत पंचमी का त्योहार 10 फरवरी को मनाया जाएगा.


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क्या है वसंत पंचमी की कथा
शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है, कथा कुछ इस प्रकार है. जब भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता था. उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था. जैसे किसी की वाणी न हो. यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी और मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का.


'गीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को...' - महाकवि निराला


उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी और दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया. यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है. इसलिये बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है. दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है. मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है.


पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान


  • वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त पीले या फिर सफेद कपड़े पहनने चाहिए.

  • ध्यान रहे कि काले और लाल कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा ना करें.

  • वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके करनी चाहिए. 

  • मान्यता है कि मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले फूल बेहद पंसद है इसलिए उनकी पूजा के वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करें.

  • पूजा के दौरान प्रसाद में दही, लावा, मीठी खीर अर्पित करनी चाहिए.

  • पूजा के दौरान माँ सरस्वती के मूल मंत्र "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप करें.


पूजा के दौरान करें इस मंत्र का जाप
इस दिन विशेष रूप से लोगों को अपने घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिये, और मां सरस्वती के इस विशेष मंत्र का 108 बार जप करना चाहिये. मंत्र - ‘ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः’ होली का आरंभ भी बसंत पंचमी से ही होता है. इस दिन पहली बार गुलाल उड़ाते हैं और बसंती वस्त्र धारण कर नवीन उत्साह और प्रसन्नता के साथ अनेक प्रकार के मनोविनोद करते हैं. ब्रज में भी बसंत के दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है.