Mahabharat katha: भारत के इस गांव में हुआ था मां सरस्वती का जन्म, आज भी है यहां भीम का पुल; देखें फोटो
Bhim mahabharat katha: आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इसके अलावा आप ये भी जान सकते हैं यहां पर महाभारत और वेदों की रचना कैसे हुई?
Mahabharat Story: उत्तराखंड के जोशीमठ के बारे में आप बहुत दिनों से सुन और पढ़ रहे होंगे. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे देवी सरस्वती के जन्म की कहानी. जी हां, यहां से सिर्फ 50 किलोमीटर की दूरी पर आपको भारत का आखिरी गांव भी देखने को मिल जाएगा. ऐसी लोक मान्यता है कि यहां से महाभारत काल के अंत में पांडव स्वर्ग की ओर गए थे. यहीं पर पास में भीम ने द्रौपदी के लिए एक पुल भी बनाया था. इसी पुल के नीचे से सरस्वती नदी की धारा बहती है. ऐसा माना जाता है कि इसी जगह पर देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. महर्षि व्यास ने पुराणों और महाभारत की रचना भी इस धरा में स्नान करके ही की थी.
जानिए भीम पुल के बारे में
आप यहां देखेंगे कि सरस्वती नदी के ऊपर नेचुरल तरीके से पत्थरों का एक पुल बना हुआ है. इसे भीम पुल कहा जाता है. प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक जब पांडव, द्रौपदी के साथ स्वर्ग जा रहे थे, उस समय उन्हें यह नदी रास्ते में दिखी. ऐसे में द्रौपदी, नदी को आराम से पार कर सके. इसलिए भीम ने यहां बड़ा पत्थर रख दिया. आप यहां नदी के पास 20 फीट लंबे पैरों के निशान भी देख सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये भीम के पैर हैं.
महर्षि व्यास ने यहां रची थी गीता
महर्षि व्यास ने इस गुफा में ही वेदों और गीता की रचना की थी. इस वजह से ही इस गुफा को व्यास पुस्तक के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि बहुत सालों बीतने के बाद पुस्तक पत्थर में बदल गई.
यहां हुई महाभारत की रचना
आप यहां देखेंगे कि व्यास गुफा से ही कुछ दूरी पर गणेश गुफा है. ऐसी मान्यता है कि महर्षि व्यास ने अपनी गुफा से भगवान गणेश को इस गुफा में महाभारत सुनाई थी, फिर यहां गणेश जी ने इसकी रचना की.
देश की आखिरी दुकान
यहां पर माणा गांव है, जहां भारत की आखिरी चाय की दुकान आपको देखने को मिल जाएगी. इस दुकान पर पर्यटक काफी संख्या में पहुंचते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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