नई दिल्ली: आज पूरा भारतवर्ष अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के सम्मुख नतमस्तक है. सभी कि यही कामना है कि राम मंदिर जल्द-से-जल्द बने, ताकि उनका आशीर्वाद लेने अयोध्या पंहुचा जा सके. यह कृपा हमें क्यों चाहिए होती है? इसलिए कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति कि वृद्धि हो. इसके लिए आप नमस्कार या प्रणाम करते हैं. झुककर पैर छूना हिन्दुओं की परंपरा रही है. यह चिंतन का ही नहीं विज्ञान का भी विषय है. बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी आप किसी को प्रणाम करें तो पूरे श्रद्धा भाव के साथ करें, यदि आप किसी के पैर नहीं छूना चाहते तो उन्हें दूर से ही नमस्कार कीजिए. ऐसा क्यों कहा जाता यह हम आपको तर्क के साथ समझाएंगे.


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अभी आप यह जान लीजिए की अधिकतर लोग प्रणाम करने का सही तरीका नहीं जानते हैं. केवल हाथ जोड़ने से आशीर्वाद कि प्राप्ति नहीं होती है. इसके लिए आपको यह समझाना होगा कि भारतीय परंपरा में इस संस्कार की इतनी महत्ता क्यों है. किसी के पैर आप क्यों छूटे हैं, इसलिए ताकि आपको वो शक्ति प्राप्त हो सके जिसका वो व्यक्ति धनि है. आपकी मनोकामना तभी पूर्ण होगी जबकि आप थोड़ा नहीं, बल्कि पूरा झुके. जिसकी कृपा आपको चाहिए उसके दोनों पैर के अंगूठों को अपने हाथ के अंगूठों से दबाकर नतमस्तक हो जाएं. ज्ञानी पुरुष कहते हैं की आपकी मनोकामना इसे 1000 प्रतिशत पूरी होती है. जिस चीज की आप में कमी है ईश्वर उसे पूरी कर देगा.


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ध्यान रहे की हर किसी के पैर नहीं छूने हैं, क्योंकि इससे सामने वाले व्यक्ति की ऊर्जा और शक्ति आप में प्रवाहित होती है. ऐसा केवल उसी व्यक्ति के साथ कीजिए जिसका, व्यक्तित्व सकारात्मक ऊर्जा वाला हो. जिस तरह करंट शरीर में प्रवाहित होता है, ठीक उसी तरह अत्यधिक क्षमता यानी हाई पोटेंशियल वाले व्यक्ति से लो पोटेंशियल व्यक्ति को वो शक्ति मिलती है, जिसकी वो चाहत रखता है. औपचारिकता से बचें. सिद्ध पुरुषं को आपने देखा होगा जैसे ही कोई प्रणाम के लिए आगे बढ़ता है वो दूर से ही हाथ आगे कर देते है. क्योंकि आशीर्वाद लेने वाला यदि श्रद्धा भाव से नहीं झुकता है तो आशीर्वाद देने वाले व्यक्ति की ऊर्जा व्यर्थ हो जाती ही है.


न्यूटन के नियम के अनुसार हर चीज में गुरुत्वाकर्षण होता है. आप जिसके समक्ष झुकते हैं वह आपके प्रति आकर्षित होता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है . मनुष्य के सिर से पैर तक ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है. यदि आप किसी के चरण स्पर्श करते हैं तो आप उसके पैर के अंगूठे से ऊर्जा प्राप्त करते हैं. इसे कास्मिक ऊर्जा कहते हैं, इसलिए आपने देखा होगा की उच्च कोटि के साधक जल्दी अपने पैर नहीं छूने नहीं देते हैं. आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब सामने वाला आपके सिर के ऊपरी भाग पर हाथ रखता है.


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इससे उस व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा आशीर्वाद के रूप में शरीर में प्रवेश करती है. इससे हमारा आध्यात्मिक और मानसिक विकास होता है. साष्टांग प्रणाम करने से शरीर के सभी जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, जिससे तनाव दूर होता है. पैर छूने के लिए आगे की ओर झुकने से रक्त प्रवाह बढ़ता है.


आशीर्वाद देने के भी तीन तरीके हैं. पहला आशीर्वाद सिर पर दिया जाता है. यह रोगी व्यक्ति के लिए सबसे उत्तम आशीर्वाद है. यह हर किसी को नहीं मिलता है. दूसरा आशीर्वाद पीठ के ऊपर थाप देकर दिया जाता है. जिन्हे भी अपने लक्ष्य में विजय प्राप्त करनी हो उसे ऐसा आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए. तीसरा आशीर्वाद होता है कमर पर. यह आशीर्वाद उसे जरूर फलता है जो अपनी दरिद्रता दूर करना चाहता है.