Chanakya Niti: इन 2 चीजों का कभी न करें अफसोस, ये ज्ञान आपको हमेशा दिलाएगा डबल फायदा
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को ऐसे ही बुद्धिमान नहीं कहा जाता.. उनके सुझाए रास्ते पर चलने वाला इंसान कभी असफल नहीं होता. आचार्य चाणक्य ने कामयाब जीवन के लिए कई नीतियों को अपनाने के लिए कहा है.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को ऐसे ही बुद्धिमान नहीं कहा जाता.. उनके सुझाए रास्ते पर चलने वाला इंसान कभी असफल नहीं होता. आचार्य चाणक्य ने कामयाब जीवन के लिए कई नीतियों को अपनाने के लिए कहा है. जो भी इन नीतियों को अच्छे से समझ ले और उसपर समय के हिसाब से चले तो कोई भी मुश्किल बाधा नहीं पैदा कर सकती. इसीलिए कहा जाता है कि मुश्किल वक्त में चाणक्य ही पार लगाते हैं. चाणक्य नीति में बताई गई हर एक बात इंसान के जीवन को आसान बनाने के लिए है.
अफसोस करने से बचें
आज हम आपको दुख को लेकर सुझाए गए चाणक्य के उपाय के बारे में बताएंगे. चाणक्य ने कहा है कि दो ऐसी चीजें है जिनकी कमी होने पर अफसोस नहीं करना चाहिए. जिस चीज पर आज आप विलाप और अफसोस करेंगे, वह भविष्य में आपको दोगुना लाभ देगी. आइये आपको बताते हैं वो कौन सी दो चीजें जिनके लिए चाणक्य ने अफसोस न करने के लिए कहा है.
मेहनत जाया नहीं जाती
चाणक्य ने कहा है कि अगर कोई भी पूरी लगन, परिश्रम और ईमानदारी से आपने अपने कर्तव्य को निभाया है तो आपको वो मुकाम जरूर मिलेगा जिसकी आपने कामना की है. लेकिन कभी-कभी सारे जतन के बाद भी आपको वो दर्जा या तारीफ न मिले जिसके आप हकदार हैं तो आपको निराश और दुखी होने की जरूरत नहीं है. ऐसे में दुखी होना स्वाभाविक है, लेकिन इस अपने ऊपर हावी न होने दें. भविष्य में निश्चित ही आपको उपलब्धि हांसिल होगी और आपका किया परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा. आपकी कर्तव्य के प्रति लगन और मेहनत आपको कामयाबी के शिखर तक पहुंचाएगी. इसके लिए उन्होंने पानी और तेल का उदाहरण भी दिया है. जिस तरह पानी में मिला तेल अपने अस्तित्व की तलाश कर लेता है उसी प्रकार एक उदार, सौम्य, मेहनती, सच्चे और अच्छे व्यवहार वाला व्यक्ति दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब होता ही है.
दान करने के बाद भूल जाना बेहतर
इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने दान करने के लिए कहा है. दान तो लगभग सभी करते हैं. लेकिन दान वही फलित होता है जो सच्चे मन से और निस्वार्थ भाव से किया गया हो. दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है. इसलिए हर एक इंसान को अपने हिसाब से कम या ज्यादा दान करना ही चाहिए. दान का अर्थ है देने में आनंद, जो बिना किसी स्वार्थ के लिए किया हो. दान करने के बाद यह बिल्कुल भी नहीं सोचना चाहिए कि इसके बदले आपको कुछ मिलेगा या आपने किसी का भला कर दिया. दान हमेशा देने और भूल जाने के लिए होता है.