कहा जाता है कि दोस्त अच्छे हों तो जीवन सफल हो जाता है लेकिन दोस्त धोखेबाज हो तो वो लोगों के लिए दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है. ऐसे दोस्तों से दूरी ही भली होती है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे लोगों के बारे में जानकारी दी है, जिनसे दूरी बनाकर मनुष्य अपने जीवन की परेशानियों को भी करीब आने से रोक सकते हैं. चाणक्य के मुताबिक कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सामने से अच्छा दिखने का स्वांग रचते हैं और पीठ पीछे आपके लिए गड्ढ़ा खोदते रहते हैं. आइए जानते हैं ऐसे लोगों के बारे में...


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मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति


चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य बताते हैं कि मदद उसी व्यक्ति की करनी चाहिए जो आपके द्वारा किए जाने वाले मदद के महत्वता को समझे. मूर्ख व्यक्ति की मदद करने पर उल्टा पड़ सकता है. चाणक्य के मुताबिक मूर्ख व्यक्ति को अच्छे-बुरे की समझ नहीं होती, ऐसे में वो आपका बुरा भी कर सकता है.


चाणक्य के मुताबिक अधर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाकर रखना चाहिए. ऐसे लोग खुद भी पाप करते हैं और दूसरों को भी इसके लिए मजबूर करते हैं. चाणक्य कहते हैं कि जो शख्स सिर्फ अपने बारे में सोचता है, जिसके दिमाग में हमेशा ये चलता हो कि कैसे अपने लाभ के लिए दूसरे का नुकसान किया जाए, उसकी मदद कभी नहीं करनी चाहिए. 


ऐसे लोग मदद पाने के बाद आपका साथ छोड़ देते हैं और अपने मतलब के लिए आपके खिलाफ किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं. ऐसे में इनसे दूर रहना ही बेहतर होता है. चाणक्य कहते हैं कि जलन और ईर्ष्या का भाव रखने वाले लोग हमेशा दूसरों को आगे बढ़ने से रोकते हैं. उनकी राह में रोड़ा अटकाते हैं. चाणक्य के मुताबिक अपने बुरे वक्त में भी ऐसे लोगों से मदद नहीं मांगनी चाहिए.


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