Ganesh Temple: भक्तों की हर चिंता दूर करते हैं चिंतामण गणेशजी, जानें कैसे हुई इस मंदिर की स्थापना
क्या आप जानते हैं कि देश में एक नहीं बल्कि 4-4 चिंतामण गणेश जी का मंदिर है. इन मंदिरों की स्थापना के पीछे की पौराणिक कथा क्या है, इस बारे में यहां पढ़ें.
नई दिल्ली: आज बुधवार है और बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि बुधवार के दिन पूरे विधि विधान के साथ भगावन गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और विघ्नहर्ता जीवन के सभी विघ्नों यानी दुख तकलीफ और संकट को दूर कर देते हैं. ऐसे में आज बात करते हैं भगवान गणेश के उन मंदिरों की जहां ईश्वर के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं. तभी तो इस मंदिर का नाम है चिंतामन गणेश मंदिर (Chintaman Ganesh Temple).
देश भर में कुल चार चिंतामण गणेश मंदिर हैं
वैसे तो देश भर में भगवान गणेश के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और हर मंदिर अपने आप में अनोखा है और उसके पीछे कोई न कोई कहानी छिपी है. इन्हीं में से एक है चिंतामण गणेश मंदिर. भारत में एक नहीं बल्कि कुल चार चिंतामण गणेश मंदिर हैं (Four Chintaman Temples). एक भोपाल के पास सिहोर में, दूसरा मंदिर उज्जैन में तीसरा राजस्थान के रणथंभौर में और चौथा गुजरात के सिद्धपुर में है. इन चारों मंदिरों की मूर्तियां स्वंय-भू बतायी जाती हैं. स्वयंभू मूर्ति का अर्थ है अपने आप जमीन से प्रकट होने वाली मूर्ति.
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भोपाल के चिंतामण गणेश मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भोपाल के सिहोर (Bhopal) स्थित चिंतामण गणेश मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य (Vikramaditya) ने की थी और यहां मंदिर में स्थापित मूर्ति भगवान गणेश ने स्वंय राजा को दी थी. एक बार गणेश जी राजा के सपने में आए और बताया कि पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में मेरी मूर्ति है उसे स्थापित करो. राजा जब नदी तट पर पहुंचे तो उन्हें पुष्प मिला. वे उसे लेकर लौटने लगे, तभी रास्ते में रात हो गई और पुष्प अचानक गिर गया और गणेश जी की मूर्ति में परिवर्तित हो गया. मूर्ति वहीं जमीन में धंस गई जिसे राजा ने निकालने की कोशिश की. लेकिन सफलता न मिलने पर वहीं पर मंदिर का निर्माण कराया. तभी से इस मंदिर का नाम चिंतामण गणेश मंदिर पड़ा.
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श्रीराम ने की उज्जैन के चिंतामण मंदिर की स्थापना
उज्जैन (Ujjain Ganesh Temple) में भी चिंतामण गणेश का एक मंदिर है. मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं क्योंकि यहां गणेश जी तीन रूपों में विराजमान हैं. पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक. पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान स्वयं भगवान श्रीराम ने इस मंदिर की स्थापना की थी. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से भक्तों की सभी मन्नतें पूरी होती हैं.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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