इस मंदिर में होते हैं तीन नेत्रों वाले Ganpati के दर्शन, भक्त भगवान को भेजते हैं चिट्ठी
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इस मंदिर में होते हैं तीन नेत्रों वाले Ganpati के दर्शन, भक्त भगवान को भेजते हैं चिट्ठी

आज विनायक चतुर्थी है जो भगवान गणेश को समर्पित है और इस खास दिन के मौके पर हम आपको बता रहे हैं गणेश जी के उस अनोखे मंदिर के बारे में जहां तीन नेत्रों वाले गणपति के दर्शन होते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भक्तजन भगवान को चिट्ठी लिखते हैं. 

गणेश जी को भक्त भेजते हैं चिट्ठी

नई दिल्ली: वैसे तो देशभर में भगवान गणेश (Lord Ganesha) के कई अनोखे मंदिर मौजूद हैं और सभी का अपना-अपना अलग और खास महत्व भी है. लेकिन आज विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के खास मौके पर हम आपको भगवान गणेश के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां पर त्रिनेत्री यानी तीने नेत्रों वाले गणपति के दर्शन होते हैं. इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा के 3 नेत्र हैं. इसके अलावा इस मंदिर में ईश्वर के प्रति भक्तों की आस्था का एक और अनोखा उदाहरण देखने को मिलता है. इस मंदिर में लाखों की संख्या में भक्तजन चिट्ठियां भेजते हैं (Sending Letters) ताकि वे प्रथम पूज्य भगवान गणेश को अपने मन की बात बता सकें. कहां है ये अनोखा मंदिर और मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी क्या है, यहां पढ़ें.

  1. भगवान गणेश के इस मंदिर में प्रतिमा के हैं तीन नेत्र
  2. स्वंयभू है इस त्रिनेत्र गणेश मंदिर की प्रतिमा
  3. अपने मन की बात बताने के लिए भक्त भगवान को भेजते हैं पत्र

स्वंयभू है त्रिनेत्र गणेश मंदिर की प्रतिमा

त्रिनेत्र भगवान गणेश (Trinetra Ganesha) का यह मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में विश्व धरोहर में शामिल रणथंभौर के किले (Ranthambhore Fort) में स्थित है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से सैकड़ों लोग इस मंदिर में तीन नेत्रों वाले भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं. इसके अलावा मांगलिक कार्य के दौरान गणेश जी को आमंत्रित करने के लिए देशभर से हजारों की तादाद में निमंत्रण पत्र भी गणेश जी के इस मंदिर में आता है. ऐसी मान्यता है कि त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यह प्रतिमा स्वयंभू है, यानी यह खुद ही प्रकट हुई है. इस मंदिर में स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा का तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. इस अनोखे मंदिर में भगवान गणेश अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं. मंदिर में गणेश जी की दो पत्नियां- रिद्दि, सिद्दि और दो पुत्र शुभ और लाभ भी हैं. गणेश जी का वाहन मूषक भी यहां पर है.

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भगवान के सामने पढ़ी जाती हैं चिट्ठियां 

इस मंदिर में भगवान गणेश को आने वाले निमंत्रण पत्रों और चिट्ठियों पर भगवान गणेश का पता श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान) लिखा जाता है. डाकिया इन चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों को पूरी श्रद्धा के साथ यहां मंदिर में पहुंचाते हैं और मंदिर के पुजारी इन चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों को भगवान त्रिनेत्र गणेश जी महाराज को पढ़कर सुनाते हैं.

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किसने की मंदिर की स्थापना?

गणपति जी के इस मंदिर की स्थापना रणथंभौर के राजा हमीर ने 10वीं सदी में की थी. ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के साथ युद्ध के समय गणेश जी राजा के सपने में आए और उन्हें आशीर्वाद दिया और राजा युद्ध में विजयी हुए. इसके बाद राजा ने अपने किले में गणेश जी के मंदिर का निर्माण करवाया.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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