नई दिल्ली: हिंदू धर्म में शंख का इस्तेमाल पूजा-पाठ में अक्सर किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि रोजाना शंख बजाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है. इसके साथ ही घर के कलह और क्लेश से भी मुक्ति मिलती है. सिर्फ इतना ही नहीं, मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है. ऐस में जानते हैं कि शंख बजाने के शास्त्रीय नियम क्या है और इसे किस प्रकार इस्तेमाल करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. 


इस तरह करना चाहिए शंख का इस्तेमाल 


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शास्त्रों के मुताबिक घर में दो प्रकार का शंख रखना चाहिए. एक पूजा-अभिषेक लिए और दूसरा बजाने के लिए. दरअसर जिस शंख को फूंककर बजाया जाता है उसका इस्तेमाल पूजा में नहीं करना चाहिए. यानी उससे पूजा-अभिषेक आदि नहीं करना चाहिए. जिस शंख से पूजा की जाती है उसे बजाना नहीं चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा करने से वह जूठा हो जाता है. शंख को पूजा घर में या पूजन स्थल पर सफेद कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए. शंख से भगवान विष्णु को जल अर्पित करना शुभ माना गया है. हालांकि इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य देव और भगवान शिव को शंख से से जल अर्पित नहीं किया जाता है. शंख फूंकने से पहले उसे गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. अगर गंगाजल की व्यवस्था नहीं है तो सामान्य पानी से भी शंख को साफ कर सकते हैं. इसके अलावा पूजा के शंख में हमेशा जल भरकर रखना चाहिए. साथ ही उस जल का पूजा में इस्तेमाल करने से बाद घर में छिड़काव करना चाहिए. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-शांति बनी रहती है.


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14 रत्नों में से एक है शंख


पुराणों में वर्णित कथा के मुताबिक शंख 14 रत्नों में से एक है. शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई. मान्यता ये भी है कि शंख मां लक्ष्मी का भाई है. साथ ही इसका संबंध भगवान विष्णु से है. धार्मिक कथाओं मुताबिक शंख भगवान विष्णु के आभूषणों में से एक है. ऐसे में माना जाता है कि जिस घर में शंख बजाया जाता है वहां भगवान विष्णु का साथ-साथ मां लक्ष्मी का भी वास होता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)