नई दिल्ली: रोशनी का त्योहार दीपावली (Deepawali) भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है. भारतवर्ष में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है. इसे दीपोत्सव (Deepotsav) भी कहते हैं. यह त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला एक महापर्व है. दीपावली का त्योहार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है.


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भगवान राम से लेकर श्रीकृष्ण से जुड़ी दीपावली
दीप पर्व अथवा दीपावली क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं, अलग-अलग परंपराएं हैं. कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम (Lord Rama) 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या नगरी लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने मकानों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया. दूसरी कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने राक्षस नरकासुर (Narkasur) का वध करके प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तो द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया.


समुद्र मंथन से भी जुड़ाव
एक और परंपरा के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ तो धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया. जो भी कथा हो, ये बात निश्चित है कि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं. खुशियां बांटने का काम करते हैं.


ब्रह्म स्वरूप दीपक
भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है. दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है.


सूर्य का भाग दीपक
ये भी कहा जाता है कि 'दीपदान' से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है. दीपक को सूर्य का भाग 'सूर्यांश संभवो दीप:' कहा जाता है.