Difference between Dwivedi Trivedi and Chaturvedi: इस समय लोकसभा और राज्‍यसभा के सत्र चल रहे हैं. रोजाना नीट पेपर लीक, नए कानून, सरकारी योजनाओं समेत कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. आज राज्‍यसभा में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर चर्चा के दौरान भी विपक्ष सरकार को घेर रहा था, तभी एक मजेदार वाकया हुआ. कांग्रेस के अध्‍यक्ष और राज्‍यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जब राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करने के लिए खड़े हुए, तब एक नए ही विषय पर पहुंच गए. 


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पहले सरकार को घेरा फिर छूटे हंसी के फव्‍वारे 


पहले तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभाप‍ति जगदीप धनखड़ को राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर चर्चा के दौरान मौका देने के लिए आभार जताया. इसके बाद उन्‍होंने सरकार को घेरना शुरू किया. उन्‍होंने कहा कि इस अभिभाषण प्रस्‍ताव में केवल सरकार की तारीफों के पुल बांधे गए हैं, देश में जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए कोई चर्चा नहीं की गई. इसी बीच वे राज्‍यसभा सदस्‍य के बारे में जिक्र करते हुए उनकी सरनेम को लेकर कंफ्यूज हो गए. 


विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोले... 'अभिभाषण में सरकार की जो तारीफें की गई हैं ऐसी तो रोज ही द्विवेदी साहब करते हैं. शायद में द्विवेदी और त्रिवेदी को लेकर कंफ्यूज हो रहा हूं. सभापति महोदय मैं दक्षिण भारत से आता हूं इसलिए मुझे द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी में अंतर करने में समस्‍या होती है. 


इस पर तुरंत राज्‍यसभा के चेयरमेन धनखड़ ने चुटकी ली कि 'आप कहो तो एक दिन आधा घंटे की चर्चा इसी विषय पर लेते हैं कि द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी कौन होते हैं.' इस पर पूरे सदन में खूब ठहाके लगे. आइए इस मौके पर जानते हैं कि वाकई में द्विवेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी में क्‍या अंतर है. 


ब्राह्मण समाज से है संबंध 


दरअसल, द्विवेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी उपनाम ब्राह्मण समाज के हैं. हर समाज के तरह ब्राह्मण समाज में भी कई तरह के सरनेम हैं. जहां तक बात द्विवेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी से संबंधित है तो पहले के समय में हर जाति या वर्ग के काम बंटे हुए थे. साथ ही पीढ़ी दर पीढ़ी वही काम किए जाते थे. जैसे डॉक्‍टर का बेटा डॉक्‍टर, शिक्षक का बेटा शिक्षक, दर्जी का बेटा दर्जी आदि. चूंकि ब्राह्मण समुदाय शिक्षा देने और कर्मकांड कराने का काम करता है. ऐसे में जिस व्‍यक्ति ने 2 वेदों का अध्‍ययन किया हो, उसे द्विवेदी कहा गया. इसी तरह 3 वेदों के ज्ञाता को त्रिवेदी और 4 वेदों के ज्ञाता को चतुर्वेदी कहा गया. इस तरह इन सरनेम की उत्‍पत्ति हुई. 


...बाद में बढ़ते गए उपनाम 


इसके बाद इन द्विवेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी के भी नए उपनाम निकले. जैसे - द्विवेदी को दुबे और दूबे भी लिखा गया. इसी तरह चतुर्वेदी उपनाम को चौबे भी लिखा जाने लगा.