दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां लोग जीते-जी करते हैं अपना श्राद्ध, क्‍या है आत्‍मश्राद्ध के पीछे की वजहें?
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दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां लोग जीते-जी करते हैं अपना श्राद्ध, क्‍या है आत्‍मश्राद्ध के पीछे की वजहें?

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में अपने पितरों या पूर्वजों की आत्‍मा के लिए लोग श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं. लेकिन क्‍या आप एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां लोग जीते जी अपना श्राद्ध, पिंडदान करते हैं. 

दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां लोग जीते-जी करते हैं अपना श्राद्ध, क्‍या है आत्‍मश्राद्ध के पीछे की वजहें?

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के 15 दिन में पूर्वजों के निमित्‍त श्राद्ध करते हैं. पितृ अमावस्‍या के दिन यह पितरों का पर्व समाप्‍त होता है. इस दौरान गया जी में देश-दुनिया से लोग श्राद्ध व पिंडदान करने के लिए आते हैं. इस साल 2 अक्‍टूबर को सर्व पितृ अमावस्‍या है. इस दिन पितरों को विदाई देते हैं और पितर अपने लोक को वापस लौट जाते हैं. तो ये तो हुई मृत परिजनों के श्राद्ध, तर्पण की बात लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि देश-दुनिया में कई लोग ऐसे भी हैं जो जीते जी अपना श्राद्ध व पिंडदान करते हैं. इसके लिए वे एक खास मंदिर में जाते हैं. 

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जनार्दन मंदिर, गया 

गया में मृत परिजनों के श्राद्ध व पिंडदान के साथ-साथ जीवित लोगों का भी श्राद्ध-पिंडदान किया जाता है. गया का जनार्दन मंदिर वेदी पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा स्थल है, जहां आत्मश्राद्ध यानी जीते जी खुद का पिंडदान किया जाता है. यहां लोग जीवित रहते हुए अपना श्राद्ध व पिंडदान करके जाते हैं. 

जनार्दन मंदिर गया में भस्मकूट पर्वत पर मां मंगला गौरी मंदिर के पास स्थित है. मान्‍यता है कि यहां भगवान विष्णु स्वयं जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड को ग्रहण करते हैं. 

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...इसलिए करते हैं जीते जी अपना पिंडदान 

अब सवाल है कि ऐसी क्‍या वजह है कि लोग जीवित रहते हुए ही अपना पिंडदान कर देते हैं. तो यह कार्य उन लोगों को करना पड़ता है जिनकी कोई संतान नहीं है या फिर जिनके परिवार में उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई नहीं है. वहीं संन्‍यासी जन भी यहां आकर अपना पिंडदान करते हैं. चूंकि वे सांसारिक जीवन छोड़ चुके हैं ऐसे में मरने के बाद उनकी आत्‍मा को शांति मिले इसके लिए वे गया के जनार्दन मंदिर वेदी आकर अपना आत्‍मश्राद्ध करते हैं. 

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