Diwali Mahakali Puja: दीपावली पर्व का महत्व तो किसी से भी नहीं छिपा है, हिंदू धर्म ही नहीं दूसरे धर्मों को मानने वाले भी इस पर्व का आदर करते हैं और एक दूसरे को बधाई शुभकामना देने के साथ ही रोशनी कर पटाखे भी छुड़ा कर आनंदित होते हैं. दीपावली की रात को महानिशीथ काल भी कहा जाता है, यह रात सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. इस निशीथ काल का सदुपयोग करने वाले माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है. 


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यूं तो पूजन का फल भगवान अवश्य ही देते हैं किंतु दीपावली की रात यानी निशीथ काल में की गई पूजा विशेष फल देने वाली होती है. देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में से ही है काली माता का स्वरूप सिद्धि और पराशक्तियों की आराधना करने वाले साधकों की इष्ट देवी मानी जाती हैं, लेकिन केवल तांत्रिक साधना के लिए ही नहीं अपितु आम जन के लिए भी महाकाली की पूजा विशेष फलदायी बताई गई है. काली पूजा को महानिशा और श्यामा पूजा भी कहा जाता है. निशीथ काल में महाकाली की पूजा करनी चाहिए. 


जुआ दुर्व्यसन है, इसे न मानें दीपावली रात की परम्परा   
बहुत से घरों में दीपावली की रात में ताश अवश्य ही खेले जाते हैं, वह इसे प्राचीन काल की परम्परा मान कर निर्वहन करना कर्तव्य समझते हैं जो बिल्कुल ही गलत धारणा है. सभी जानते हैं इसी जुआ ने महाभारत कराई थी. निशीथ काल को यूं ही न बर्बाद करें बल्कि उत्सव मनाएं, इस काल में पूरे घर की लाइट जलाकर रखनी चाहिए. किसी भी तरह की सुस्ती या डलनेस नहीं आनी चाहिए. 


विद्यार्थी करें इष्ट देव का जाप
इस रात में कनकधारा स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी होती है, इसलिए इस काल में मां लक्ष्मी के सामने कुशा के आसन में बैठकर दीपक जला लें और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. यदि पाठ नहीं कर सकते है तो भी मां लक्ष्मी के मंत्र के एक, पांच, सात या 11 माला का जाप करें. पढ़ने वाले अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को इस रात अपने ईष्ट देव का जाप करना चाहिए, निश्चित रूप से इस दिन किए गए जाप का फल अवश्य मिलता है. परिवार के साथ भजन सुनना सुनाना चाहिए, कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन भी कर सकते हैं. लेकिन इस सबसे महत्वपूर्ण काल को बेकार नहीं जाने देना चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)