Meethi Eid 2023: एक महीने के कठिन रोजों के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग आज ईद का पर्व पूरे जोर-शोर से मना रहे हैं. सऊदी अरब में कल 21 अप्रैल को ही ईद-उल-फितर पर्व मनाया जा चुका है लेकिन भारत में कल चांद दिखाई देने से आज 22 अप्रैल, शनिवार को ईद मनाई जा रही है. लोग एक-दूसरे को ईद की बधाई दे रहे हैं, ईद की शुभकामनाओं के संदेश भेज रहे हैं.  इस ईद को मीठी ईद भी कहते हैं क्‍योंकि इस दिन मीठी सेवइयां खाने और खिलाने का रिवाज है. रमजान का पाक महीना खत्‍म होने पर ईद-उल-फितर मनाया जाता है. आइए जानते हैं ईद-उल-फितर से जुड़ी अहम बातें. 
 
ईद-उल-फितर का इतिहास और अहम बातें 


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- माना जाता है कि सबसे पहली बार ईद-उल-फितर सन् 624 ईसवी में मनाई गई थी. ये ई जंग-ए-बदर में जीतक के बाद पैगम्बर मुहम्मद ने पहली बार मनाई थी. तब से ही ईद-उल-फितर मनाने की परंपरा चली आ रही है. 


- ईद का त्‍योहार पवित्र रमजान माह के आखिर में मनाया जाता है. रमजान के पाक महीने के 29वें या 30वें दिन ईद मनाई जाती है. जब चांद का दीदार हो जाता है, तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है. 


- रमजान का महीना चांद के दिखने पर ही शुरू होता है और खत्‍म ईद के चांद के दीदार के साथ होता है. दरअसल, मुसलमानों का हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित है.


- रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग कठिन रोजे रखते हैं और अपना ज्‍यादातर समय अल्‍लाह की इबादत में बिताते हैं. 


- वहीं ईद के दिन विशेष नमाज अदा करते हैं. एक-दूसरे के गले लगकर ईद की बधाई देते हैं. ईद-उल-फितर के दिन मीठी सेवइयां खाई जाती हैं, इसलिए इसे मीठी ईद भी कहते हैं. 


- ईद पर बधाई देने, भाईचारे का संदेश देने, एक-दूसरे को सेवइयां और अन्‍य पकवान खिलाने के अलावा जकात का बड़ा महत्‍व है. जकात से मतलब दान से है. ईद पर हर सक्षम मुसलमान अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों में बांटता है, ताकि वे भी ईद की खुशी मना सकें.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)