Vastu Tips of Gangajal: हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी गंगा को मानी गई है. इसके साथ ही गंगाजल को भी शुभ और अशुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है. क्योंकि गंगाजल को शुद्धता का प्रतीक माना गया हैं. कहा जाता है कि कोई कितना भी अपवित्र क्यों न हो अगर वह गंगा में डूबकी लगा लें तो वह शुद्ध हो जाता है. इसके साथ ही गंगाजल का प्रयोग शुभ और अशुभ दोनों ही कार्यों में किया जाता है. अक्सर आपने देखा होगा कि गंगाजल को पूजा-पाठ से लेकर अशुभ कार्यों में शुद्धिकरण में भी किया है. ऐसा क्यों करते हैं आइए जानते हैं. 


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पूजा- पाठ में उपयोग 


यह तो हम सब जानते हैं कि गंगाजल का इस्तेमाल पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में किया जाता हैं. गंगाजल शिवलिंग में भी अर्पित किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यदि आप गंगाजल की कुछ बूंद भी जल में मिलाकर शिवलिंग में चढ़ाते हैं तो शिवजी प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, क्योंकि भगवान शिव जी की जटा में भी गंगा जी का निवास स्थान है. इसके साथ ही गंगाजल का उपयोग चरणामृत बनाने में भी किया जाता है. बिना गंगाजल के चरणामृत अधूरा माना जाता हैं. मंदिर में भी पूजा- आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप गंगाजल दिया है. 


शुद्धिकरण में उपयोग 


गंगाजल का उपयोग शुद्धिकरण में भी किया जाता है. किसी अशुभ कार्यों के बाद या उसके शुद्धिकरण में भी गंगाजल का छिड़काव किया जाता है. व्यक्ति की मृत्यु के समय भी उसे गंगाजल दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि गंगाजल के सेवन से उसके सारे बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती हैं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि गंगाजल का उपयोग अशुद्ध कार्यों में भी करने से गंगा अपनी पवित्रता नहीं खोती. साथ ही अशुद्ध चीजों के संपर्क में आने से उसे भी शुद्ध करती है. 


इसलिए आपने अक्सर देखा होगा कि किसी भीअशुभ कार्यों के बाद गंगाजल का छिड़काव किया जाता है ताकि हमारे घर या शरीर की शुद्धि हो सकें और नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहें. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा माता को मोक्षदायिनी माना जाता है. इसलिए विशेष अवसर और पर्व पर लोग गंगा स्नान करते हैं.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)