नई दिल्‍ली: मृत्‍यु (Death) ही अंतिम सच है. इससे लोगों को जितना डर लगता है, उतनी ही इसके बारे में जानने की उत्‍सुकता भी रहती है. हिंदू धर्म के पुराणों में गरुड़ पुराण (Garuda Purana) को बहुत अहम माना गया है. यह पुराण जीने के साथ-साथ मरने और उसके बाद की यात्रा के बारे में भी बताता है. गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि मरते समय व्‍यक्ति को कैसा महसूस होता है और मरने के बाद व्‍यक्ति की आत्‍मा (Soul) के साथ क्‍या होता है. 


मरते समय होता है ऐसा महसूस 


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गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मरते समय व्‍यक्ति की सारी इंद्रियां शिथिल पड़ने लगती हैं लेकिन उसकी याददाश्‍त सालों पुरानी बातें भी याद दिला देती हैं. उसे अपनी जिंदगी के सारे अच्‍छे-बुरे कर्म एक रील की तरह दिखाई देते हैं. उसके आंखों के सामने वो सारा लेखा-जोखा आ जाता है जो उसने अपनी पूरी जिंदगी में किया था. व्‍यक्ति इस समय बोलने में असमर्थ हो जाता है. 


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नजर आने लगते हैं यमदूत 


मरते हुए व्‍यक्ति को वो 2 यमदूत नजर आने लगते हैं, जो उसे लेने के लिए आए होते हैं. यदि व्‍यक्ति अपनी जिंदगी में अच्‍छे काम किए हैं तो उसके प्राण आसानी से निकल जाते हैं, वरना उसकी आत्‍मा को शरीर छोड़ने में बहुत मुश्किलें आती हैं. इसलिए मरने से पहले गोदान कराने की परंपरा है, ताकि गाय का दान करने से मिलने वाला पुण्‍य उसे शांतिपूर्ण मृत्‍यु दे. इसके बाद यमलोक में उसके कर्मों का हिसाब-किताब होता है और फिर उसे नया शरीर तलाशने के लिए फिर से इस मृत्‍युलोक में भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है. 


13 दिन तक घर के पास रहती है आत्‍मा 


आत्‍मा एक बार फिर 13 दिनों के अपने घर के पास आ जाती है और कई बार अपनों के मोह में पड़ी आत्‍मा अपने पुराने शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करती है. हालांकि यमदूतों के बंधन उसे ऐसा करने नहीं देते हैं. 10 दिन बाद संतान द्वारा किया गया पिंडदान आत्‍मा को वहां से जाने की शक्ति देता है. इसके बाद वह अपने लिए नया शरीर तलाशती है. गरुड़ पुराण के मुताबिक नया शरीर मिलने तक आत्‍मा को 47 दिन लग जाते हैं, वहीं आत्‍महत्‍या या दुर्घटना के कारण असमय मौत होने पर आत्‍माएं लंबे समय तक भटकती रहती हैं. 


(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)