Shrimadbhagwat Geeta Niyam: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. हिंदू शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं, मोक्षदा एकादशी के साथ गीता जयंती भी मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसी वजह से गीता जयंती मनाई जाती है. इस मौके पर हम जानते हैं घर में गीता रखने के कुछ जरूरी नियम के बारे में.


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घर में गीता रखने से क्या होता है


सनातन धर्म में श्रीमदभागवत गीता को सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक माना गया है. मान्यता है कि इस ग्रंथ को अगर घर में रखा जाए, तो इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वहीं, अगर नियमित रूप से गीता का पाठ किया जाए, तो परिवार में एकता, सुख-समृद्धि का वास होता है. इसमें सफलता के सभी रहस्य छिपे हैं. कहते हैं कि श्रीमदभागवत गीता का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन के सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं. 


मान्यता है कि जिन घरों में नियम और निष्ठा के साथ गीता का पाठ किया जाता है, वहां मां लक्ष्मी और श्री कृष्ण का वास होता है. साथ ही, गीता जयंती के दिन गीता का पाठ करने से और हवन आदि करने से वास्तु दोष दूर होते हैं.    


श्रीमद्भागवत गीता से जुड़े नियम


- अगर आपने घर में श्रीमद्भागवत गीता रखी हुई है, तो इस बात का ध्यान रखें कि उसके आसपास गंदगी न हो. हिंदू शास्त्रों में इसे सबसे पवित्र ग्रंथ  माना गया है, इसलिए इसे साफ रखना बेहद जरूरी है. 


- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रीमद्भागवत गीता को कभी भी जमीन पर न रखें. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि इसे हाथ में लेकर न पढ़ें. गीता को लकड़ी की चौकी या काठ पर ही रख कर पढ़ें.  


- श्रीमद्भागवत गीता को लाल रंग के कपड़े में लपेट कर रखें. पाठ करते समय ही उसे खोलें और वापस से बाद में लाल रंग के कपड़े में ही लपेट कर रख दें.  


- गीता का पाठ हमेशा स्नान के बाद ही करें. साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने के बाद ही ये पाठ करें. 


- श्रीमद्भागवत गीता को गंदे हाथों से बिल्कुल न छुएं. साथ ही. मासिक धर्म के दौरान भी गीता को हाथ न लगाएं. 


- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है. बस इस दौरान शुद्धता का खास ख्याल रखें. 


- गीता का पाठ करने समय अध्याय को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. 


- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से भगवान गणेश और श्री कृष्ण जी का ध्यान करें. 


- श्रीमद्भागवत गीता का हर अध्याय आरंभ करने से पहले और बाद में श्री कृष्ण और गीता के चरण स्पर्श करें.  


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)