Govardhan Puja Importance: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण के साथ माना गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि के दिन गोवर्धन पूजा होती है. इस साल ये पर्व 25 अक्‍टूबर को मनाया जाने वाला है. इस पूजा के लिए आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए. साथ ही हम आपको बताएंगे कि गोवर्धन पूजा कब से मनाई जाने लगी.   


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

गाय की पूजा क्‍यों होती है?


गोवर्धन पूजा के दिन विशेष रूप से गोधन यानी गायों की पूजा होती है. हिंदू शास्‍त्राों के मुताबिक, गाय को बहुत ही पवित्र माना गया है. गाय को देवी लक्ष्‍मी का रूप भी माना जाता है. इसलिए जिस तरह मां लक्ष्‍मी सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी तरह गाय माता भी दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं.    


गाय में होता है देवताओं का वास


गौ माता का विशेष म‍हत्‍व यूं ही नहीं है, गया देवी लक्ष्‍मी का स्‍वरूप तो है ही. इसके अलावा मान्‍यताओं के अनुसार, गाय में सभी देवों का वास होता है. गाय का घी कई औषधीय गुणों वाला माना जाता है. इसके अलावा गोवर्धन पूजा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अपमान कर गिरिराज पूजन शुरू किया था. 


पूजा में इन बातों का रखें ध्यान


गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का कार्यक्रम बंद कमरे में नहीं होता है. इस दिन गायों की पूजा करते समय ईष्टदेव या भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना न भूलें. मान्‍यता है कि गोवर्धन के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए. पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. पूजा के बाद अन्नकूट प्रसाद ग्रहण किया जाता है.    


गोवर्धन का श्रीकृष्ण से है संबंध 


पुराणों के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाए गोवर्धन की पूजा शुरू कराई थी. आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा में धूप, दीप, खील, बताशे, फल, जल, नैवेद्य रखा जाता है. गोवर्धन में ओंगा यानि अपामार्ग की डालियां भी रखी जाती हैं. गोवधर्न पूजा के दिन गाय का विशेष महत्‍व होता है. 25 अक्‍टूबर को गोवर्धन पूजा होने वाली है, ऐसे में आपको बता दें कि पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्‍छा माना जाता है.        


ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर