Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. ऐसे में इस साल गुरु नानक जयंती 15 नवंबर दिन शुक्रवार को है. इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जानते हैं. गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक हैं. इस दिन सिख धर्म के अनुयायी गुरुद्वारे जाते हैं मत्था टेकते हैं. इस पावन मौके पर नगर कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है. इसके बाद रात के वक्त लाखों दीये जलाए जाते हैं. ऐसे में इस दिन होने वाले कीर्तन का क्या महत्व है आईए जानते हैं.


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प्रभातफेरी का है महत्व


कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रभात फेरी का भी बहुत ही ज्यादा महत्व है. गुरु नानक जयंती के आने से पहले ही सिख धर्म के लोग इसकी तैयारी जोर-शोर से शुरू कर देते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के पहले से ही हर दिन सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती है. वहीं कार्तिक पूर्णिमा यानि गुरु नानक जयंती के दिन विशाल नगर कीर्तन का आयोजन होता है.


पुंज प्यारे करते हैं अगुवाई


इस कीर्तन की अगुवाई पंज प्यारे करते हैं. इस दिन श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी को फूलों से सजाया जाता है. उस पालकी में गुरु नानक जी के विग्रह को पूरे विधि-विधान के साथ बैठाकर पूरे नगर में घुमाया जाता है. नगर भ्रमण के बाद अंत में उन्हें गुरुद्वारे में वापस लाकर फिर से विधि-विधान के साथ स्थापित कर दिया जाता है. 


नानक देव की उपदेशों की करते हैं चर्चा


प्रभातफेरी के दौरान श्रद्धालु भजन-कीर्तन के साथ-साथ नानक देव जी के उपदेशों के बारे में लोगों को बताते भी हैं. इस कीर्तन में शामिल श्रद्धालुओं का जगह-जगह स्वागत किया जाता है. इसके अलावा इस दिन कई घरों के दरवाजे पर भी रुककर लोग कीर्तन करते हैं. कीर्तन करने वाले लोगों का स्वागत फूलों और आतिशबाजियों से किया जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)