Guru Pradosh Vrat: आज प्रदोष व्रत है. इस दिन उमापति शिव जी की पूजा होती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन शिव के उपासक प्रदोष काल के समय अपने आराध्य की पूजा करते हैं. ऐसा करने से भगवान शिव अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और कृपा बरसाते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कितने तरह के होते हैं प्रदोष व्रत, क्या लाभ मिलता है इसके करने से और महत्व क्या है.


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वार के नाम से जाना जाता है प्रदोष व्रत


जिस दिन को जो प्रदोष होता है उसे उसी वार के नाम से जाना जाता है. जैसे रविवार के दिन प्रदोष व्रत आता है तो उसे रवि प्रदोष कहते हैं. रवि प्रदोष के व्रत से रोग-दुख दूर होते हैं और आयु में वृद्धि होती है. वहीं सोमवार के प्रदोष को सोम प्रदोष कहते हैं. इस दिन व्रत करने से मन की शांति मिलती है और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है. मंगलवार को जो प्रदोष व्रत करता है उसे ऋण से मुक्ति मिलती है. इस प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं.


गुरु प्रदोष का लाभ


बुधवार के दिन बुद्ध प्रदोष आता है. इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. गुरु प्रदोष गुरुवार के दिन किया जाता है. यह व्रत शत्रु विनाशक, पित्र तृप्ति, भक्ति वृद्धि के लिए होता है. शुक्रवार के दिन शुक्र प्रदोष का व्रत होता है. इस दिन प्रदोष व्रत करने से अभीष्ट सिद्धि मिलती है साथ ही चारो पदार्थो (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) की प्राप्ति होती है. वहीं शनि प्रदोष के करने से संतान की प्राप्ति होती है.


प्रदोष व्रत की विधि


प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी के दिन सूर्य उदय से पहले जग जाएं. नित्यकर्मों से निवृ्त होकर, भगवान भोलेनाथ को याद करें. इस व्रत को जो भी करता है वह पूरे दिन उपावस रखता है और अगले दिन पारण करता है. एक बार फिर शाम में सूर्यास्त से करीब एक घंटा पहले स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करता है. इसके बाद घर में स्थित पूजा की जगह हो साफ सुथरा करके गंगा जल से धो लें.


कुश के आसन पर बैठकर करें पूजा


इसके बाद वहां बैठकर प्रदोष व्रत कि आराधना करते हैं. प्रदोष व्रत की आराधना के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें. पूजा के दौरान उतर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करें.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)