Holashtak significance: वैसे तो सनातन धर्म में हर व्रत और त्योहार का महत्व है, लेकिन होली और दिवाली बड़े त्योहार माने जाते हैं. होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लगते हैं. इस बार 28 फरवरी से होलाष्टक लग जाएंगे और इसका समापन 7 मार्च को होली दहन पर होगा. इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इन 8 दिन तक कौन से कार्य नहीं करने चाहिए और नियम न मानने पर किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.


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तिथि


होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है और फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ खत्म होता है. ऐसे में इस बार 28 फरवरी से होलाष्टक की शुरुआत होगी, जो 7 मार्च तक रहेगी. वहीं, 8 मार्च को होली खेली जाएगी.


कार्य


होलाष्टक के दौरान विवाह, संगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, नए कार्य की शुरुआत जैसे शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र होता है. ऐसे में शुभ कार्यों के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है. ऐसे में इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करने से इंसान को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका दहन से पहले 7 दिन तक असुर हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को काफी प्रताड़ित किया था. इस दौरान उसने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ने के लिए कहा और कई यातनाएं दीं. वहीं, आठवें दिन हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के उद्देशय से अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर दहन करने का प्रयास किया, लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से वह बच गया और होलिका दहन हो गई.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)