Beliefs Related to Peepal Tree: क्या पीपल के पेड़ पर वाकई भूत-प्रेतों का वास होता है. उसके नीचे रात बिताने या उसे काटने से लोग इतना डरते क्यों है. क्या यह महज पौराणिक मान्यताएं हैं या फिर इसके पीछे कोई अन्य रहस्य छिपा है.
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Why Peepal Tree Cutting Inauspicious: सनातन धर्म में कुछ विशेष पेड़-पौधों को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. जैसे पूजा-पाठ में तुलसी का प्रयोग सर्वोत्तम माना गया है, वैसे ही व्रत एवं धार्मिक विधानों में पीपल, नीम और बरगद के वृक्षों का विशेष महत्व होता है. पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास बताया गया है. स्कंदपुराण में उल्लेख मिलता है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास होता है. इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते. फिर इसे भूत-प्रेतों का निवास स्थान क्यों माना जाता है? आइए जानते हैं कि इस रहस्य से आज परदा उठाते हैं.
स्वयं ईश्वर ने बताई है महिमा
यजनश्री ट्विटर हैंडल के अनुसार, गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, –“अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणाञ्य नारदः” सभी वनस्पतियों में मैं पीपल हूं और देवऋषियों में मैं नारद हूं. ऐसा कहकर उन्होंने इस वृक्ष की महिमा स्वयं ही कह दी है. पीपल के पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे.
पीपल के पेड़ को साक्षात विष्णु का स्वरूप माना जाता है. इसके जड़ों में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवताओं से युक्त अच्युत निवास करते हैं. इसलिए इसे विष्णु का प्रत्यक्ष रूप माना गया है. पीपल के पेड़ को जल अर्पित करने से व्यक्ति अपने जन्म-जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है.
रात के समय पीपल के पेड़ के पास न जाएं
कभी-कभी यह सुना जाता है कि रात के समय पीपल के पेड़ के पास नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वहां भूत-प्रेत रहते हैं. पीपल के पेड़ को पितरों का वास स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि पीपल के पेड़ को कभी नहीं काटना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पितृदोष लगता है. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए.
पीपल के पेड़ पर आत्माओं के वास की मान्यता के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गांव में आज भी घर में नहीं लाया जाता, बल्कि उन्हें पीपल के पेड़ पर लटका दिया जाता है. इसी कारण यह धारणा बन गई कि मृत व्यक्ति की आत्मा पीपल के पेड़ में वास करती है.
अलक्ष्मी का होता है वास
मान्यता है पीपल के पेड़ के नीचे देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी यानी दरिद्रा देवी का वास भी होता है. भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी से प्राप्त वरदान के कारण शनिवार को जो भक्त अलक्ष्मीजी के निवास अर्थात् पीपल वृक्ष की आराधना करते हैं, उन्हें निश्चित ही शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर धनधान्य से भर जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)