नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) श्रेष्ठ विद्वान थे और उन्हें राजनीति और कूटनीति का माहिर माना जाता है. उन्होंने अपने विचारों को चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में लिखा और उसके माध्यम से यह बताने की कोशिश की कि व्यक्ति के जीवन में जो अच्छे बुरे पल आते हैं, उसमें किसी इंसान को किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए. यही कारण है कि सैकड़ों साल बीत जाने के बाद भी आज चाणक्य नीति की बातें उतनी ही प्रासंगिक हैं. जब किसी व्यक्ति के जीवन में कष्ट आता है तो उसे क्या करना चाहिए, इस बारे में क्या कहती है आज की चाणक्य नीति, यहां पढ़ें. 


दरिद्रता और कष्ट से छुटकारा पाने का उपाय


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आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के पांचवें अध्याय के 11वें श्लोक में लिखा है-
दारिद्र्यनाशनं दानं शीलं दुर्गतिनाशनम्।
अज्ञाननाशिनी प्रज्ञा भावना भयनाशिनी ।।


अर्थात: दान देने से दरिद्रता का नाश होता है, शील स्वभाव से दुःखों का नाश होता है, बुद्धि अज्ञानता को नष्ट कर देती है और भावना से भय का नाश हो जाता है.


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अपने इस श्लोक (Sholaka) के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं अपनी गरीबी (Poverty) दूर करने का सबसे आसान तरीका यही है कि आप उदार बनें. मेरे पास तो कुछ नहीं है यह सोचकर दूसरों की मदद करने की बजाए दान और पुण्य कर्म करें (Help others). ऐसा करने से दरिद्रता का नाश होता है. अगर आपको किसी तरह का दुख या तकलीफ है तब भी अपने व्यवहार (Behaviour) को हमेशा नम्र बनाए रखें. अगर आप अपने व्यवहार को सही रखेंगे तो आपके कष्ट जल्दी दूर हो जाएंगे. यह तो हम सभी जानते हैं कि अज्ञानता को दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश (Knowledge)जरूरी होता है. वहीं अगर किसी बात से डर लग रहा हो तो ईश्वर को याद करें और अपनी भावनाओं को शुद्ध करें. फिर देखें किसी चीज का डर नहीं रहेगा. 


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(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)


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