Chanakya Niti: किस तरह के लोगों के साथ मित्रता करनी चाहिए? जानें क्या कहती है चाणक्य नीति
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Chanakya Niti: किस तरह के लोगों के साथ मित्रता करनी चाहिए? जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक के माध्यम से यह बताया है कि एक सफल व्यापारी कैसे बन सकते हैं, नौकरी करते वक्त और दोस्ती करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. 

आज की चाणक्य नीति

नई दिल्ली: चाणक्य नीति जिसे चाणक्य नीति (Chanakya Niti) शास्त्र के नाम से भी जाना जाता है एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसे आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने लिखा है. इसमें अपने रोजाना के जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए श्लोक के माध्यम से कई उपयोगी सुझाव दिये गए हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियां सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन के हर मोड़ पर फायदेमंद साबित हो सकती हैं. चाणक्य नीति की सबसे अहम विशेषता ये है कि यह नीति जीवन की हर परिस्थिति से निपटने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. 

  1. दोस्ती करने से पहले किस बात का ध्यान रखना चाहिए, चाणक्य नीति से जानें
  2. सफल व्यापारी बनने के लिए आपमें कौन सा गुण अवश्य होना चाहिए
  3. नौकरी करने से पहले किस बात के बारे में जानकारी होनी चाहिए

कैसे लोगों से मित्रता करनी चाहिए, चाणक्य से जानें

अपने एक श्लोक (Shloka) के माध्यम से चाणक्य यह बताना चाहते हैं कि हमें किस तरह के व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिए और अगर व्यापार में सफल होना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए. 
समाने शोभते प्रीती राज्ञि सेवा च शोभते।
वाणिज्यं व्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे ॥

अर्थात हमें अपने समान स्तर वाले लोगों से ही मित्रता करना शोभा देता है, राजा-रानी की सेवा में नियुक्त व्यक्ति भी शोभित होता है, व्यापार करने के दौरान व्यक्ति की व्यवहार कुशलता ही शोभा देती है और दैवीय गुणों से युक्त सुन्दर स्त्री से उसका घर सुशोभित होता है. अपने इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने दोस्ती, व्यापारी, नौकरी और स्त्री के बारे में बताया है. 

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1. बराबर वालों से करें दोस्ती- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दोस्ती (Friendship)  हमेशा बराबर वालों से करनी चाहिए. अगर आप अपने से ऊपर या नीचे के स्तर वाले व्यक्ति से दोस्ती करते हैं तो आपके रिश्ते में कभी न कभी दरार आने की आशंका बनी रहती है. इसलिए बेहतर है कि दोस्ती करने से पहले ही इन बातों का ध्यान रखा जाए.

2. कैसी जगह नौकरी करनी चाहिए- श्लोक के अगले हिस्से में चाणक्य यह कहते हैं कि आप किस जगह नौकरी (While doing Job) कर रहे हैं इस बात का भी ध्यान रखें. आपका मालिक कैसा है यह जाने बिना नौकरी न करें क्योंकि अगर आप जहां नौकरी कर रहे हैं आपके मालिक का स्वभाव खराब हो तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 

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3. व्यापार में व्यवहार है जरूरी- चाणक्य की मानें तो जो लोग व्यवहार कुशल नहीं है वे बेहतर व्यापारी (Businessman) नहीं बन सकते. इसका कारण ये है कि अगर आपकी वाणी और व्यवहार खराब है तो आप ग्राहक के साथ भी खराब तरीके से बात करेंगे तो आपका व्यापार कभी अच्छा नहीं चलेगा.

4. स्त्री से बढ़ती है घर की शोभा- श्लोक के आखिरी हिस्से में चाणक्य कहते हैं कि कोई घर तभी सुंदर और सुशोभित होता है जब वहां अपने कार्यों में कुशल स्त्री हो जो बेहतर तरीके से घर को चला सके. ऐसे घर में सुख शांति का वास होता है.

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