नई दिल्ली. इस बार बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) 28 नवंबर यानी शनिवार को मनाई जाएगी. हर साल यह पवित्र पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी की बहुत मान्यता है. पुराणों के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन जो भक्त 1000 कमल पुष्पों से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के बाद भगवान शिव (Lord Shiva) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.


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पुराणों के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2020) के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया था.


बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व


भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार महीनों के बाद जागते हैं और भगवान शिव की पूजा में लीन हो जाते हैं. भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनको दर्शन देकर सुदर्शन चक्र देते हैं और कहते हैं कि जो मनुष्य इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करेगा, उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी. इसी वजह से इस दिन को बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और शिव एक ही रूप में रहते हैं.


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14 दीपक जलाने का महत्व


बैकुंठ चतुर्दशी के दिन उपवास करने के बाद शाम को सरोवर, नदी के तट पर 14 दीपक जलाने की परंपरा है. बैकुंठ चतुर्दशी पर 14 दीपक जलाने से भगवान विष्णु और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. इससे बैकुंठ धाम की प्राप्ति के साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.


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बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त


बैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर 2020 यानी शनिवार को है.
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि की शुरुआत: 28 नवंबर को रात 10 बजकर 22 मिनट
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि समाप्ति: 29 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
बैकुंठ चतुर्दशी का निशीथ काल: रात को 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक


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