Jeen Mata Temple: मुगल शासकों ने भारत में कई मंदिर तोड़े और वे मंदिर दोबारा ना बन सकें इसलिए उन्‍हें मस्जिदों में तब्‍दील भी करा दिया. जिसके कई मामले अभी विभिन्‍न कोर्ट में चल भी रहे हैं. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि हर बार मुगल बादशाह हिंदू देवस्‍थानों को तोड़ने में कामयाब भी रहे. उन्‍हें कई बार बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी. बल्कि कुछ मामलों में तो वे दैवीय शक्तियों के आगे नतमस्‍तक होने पर मजबूर हो गए. ऐसा ही एक मामला मुगल बादशाह औरंगजेब का है, जिसमें उसे राजस्‍थान के एक देवी मंदिर को तोड़ने की कोशिश बहुत भारी पड़ गई है. 


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सीकर का जीण माता मंदिर 


यह मंदिर है राजस्थान के सीकर में स्थित जीण माता का मंदिर, जिसे तोड़ने के औरंगजेब के इरादे उस पर ही भारी पड़ गए थे. अन्‍य मंदिरों को तोड़ते हुए औरंगजेब आगे बढ़ा और जैसे ही उसने जीण माता मंदिर को तोड़ने की कोशिश की तो यहां मौजूद भंवरों (मधुमक्खियों) ने औरंगजेब और सेना पर हमला कर दिया.


बताया जाता है कि औरंगजेब भी गंभीर रूप से बीमार हो गया. सेना भी मधुमक्खियों के हमले में घायल हो गई. जैसे- तैसे उसे यहां से जान बचा कर भागना पड़ा. औरंगजेब की सेना को काफी नुकसान हुआ. इसके बाद औरंगजेब ने मंदिर की शक्ति को स्‍वीकारा और यहां माफी मांगने भी आया. मुगल शासक औरंगजेब ने जीण माता के दरबार में शीश झुका कर मांफी मांगी और माता को अखंड दीपक के लिए हर महीने सवा मण घी तेल भेंट करने का वचन दिया.


हर महीने भेजता था दीपक के लिए तेल 


मंदिर में दर्शन के बाद औरंगजेब की तबीयत ठीक होने लगी. फिर उसने हर महीने मंदिर में ज्‍योति जलाने के लिए सवा मन तेल भेजने का वादा भी निभाया. कहा जाता है कि हुकूमत बदलने के बाद भी मंदिर में घी-तेल के पैसे आते थे. 


जीण माता मंदिर सीकर से 35 किमी दूर अरावली की वादियों में बसा है. वहीं जयपुर से जीण माता मंदिर की दूरी करीब सवा सौ किलोमीटर है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)