नई दिल्ली. काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2020) 7 दिसंबर यानी आज मनाई जाएगी. काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) हर साल मार्गशीष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है. काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इससे रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं.


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काल भैरव जयंती पर व्रत का महत्व


काल भैरव को भगवान शिव (Lord Shiva) का अवतार माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो मनुष्य काल भैरव जयंती के दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उस पर भगवान शिव की कृपा-दृष्टि बनी रहती है. काल भैरव की पूजा करने से राहु और शनि ग्रह के प्रकोप से भी मुक्ति मिलती है.


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काल भैरव जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में बातों-बातों में विवाद हो गया. इसमें ब्रह्मा जी ने शिव जी का अपमान कर दिया. इसके चलते भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और फिर काल भैरव की उत्पत्ति हुई. काल भैरव ने ब्रह्मा जी के उस मुख को काट डाला, जिससे उन्होंने भगवान शिव का अपमान किया था. इसके बाद शिव जी ने काल भैरव को ब्रह्मा जी की हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर भेजने का निश्चय किया. शिव जी ने कहा- काल भैरव, तुम ब्रह्मा जी के कटे सिर को पृथ्वी पर ले जाओ और यह जहां भी गिरेगा, वहीं पर तुम्हें तुम्हारों पापों से मुक्ति मिलेगी.


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पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी का सिर काशी में गिरा था. हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ का विशेष महत्व है. लोग काशी विश्वनाथ के साथ-साथ काल भैरव के भी दर्शन करते हैं. भगवान काल भैरव के दर्शन करने से रोग व कष्ट दूर होते हैं.


काल भैरव जयंती का शुभ मुहूर्त


काल भैरव जयंती की अष्टमी तिथि की शुरुआत 7 दिसंबर शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगी और अष्टमी तिथि की समाप्ति 8 दिसंबर की शाम 5 बजकर 19 मिनट पर होगी.


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