10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या, सिर्फ 10 रुपये का लिया दान; कुछ ऐसी है सियाराम बाबा की कहानी
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10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या, सिर्फ 10 रुपये का लिया दान; कुछ ऐसी है सियाराम बाबा की कहानी

Siyaram Baba Story: आध्यात्मिक संत सियाराम बाबा का 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित की. आइए जानते हैं कौन थे संत सियाराम बाबा.

10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर की तपस्या, सिर्फ 10 रुपये का लिया दान; कुछ ऐसी है सियाराम बाबा की कहानी

Siyaram Baba Story: आध्यात्मिक संत सियाराम बाबा का बुधवार (11 दिसंबर को) यानी मोक्षदा एकादशी के दिन 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने मध्यप्रदेश के नर्मदा नदी के तट पर स्थित आश्रम में सुबह में अंतिम सांस ली. संत सियाराम बाबा के निधन पर विभिन्न क्षेत्रों से शोक संवेदनाएं व्यक्त की गईं. इस क्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने संत के निधन पर दुख व्यक्त किया. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संत सियाराम बाबा के आश्रम का दौरा किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. 

भक्तों से सिर्फ 10 रुपये लेते थे संत सियाराम बाबा

संत सियाराम बाबा हनुमान जी के अनन्य भक्तों में से एक थे. वे भक्तों के दान के तौर पर सिर्फ 10 रुपये ही लेते थे. उनका धर्म-अध्यात्म से गहरा जुड़ाव था, इसलिए वे हमेशा रामचरितमानस का पाठ किया करते थे. वह इस उम्र में भी किसी से कोई सहयोग नहीं लेते थे और अपना सारा काम खुद ही किया करते थे.  

7वीं कक्षा के बाद निकल पड़े हिमालय की यात्रा पर

संत सियाराम बाबा का जन्म मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के एक सामान्य परिवार में हुआ था. वे अपने गांव के स्कूल से 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की, जिसके बाद वे अपनी पढ़ाई छोड़कर वैरागी हो गए. उसके बाद हिमालय की यात्रा पर निकल पड़े. हिमालय की यात्रा से वापस आने के बाद उन्होंने नर्मदा नदी के किनारे अपना आश्रम बना लिया और उसी स्थान पर ताउम्र तपस्या करते रहे. 

12 वर्षों तक की मौन तपस्या

संत सियाराम बाबा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे 12 वर्षों तक मौन व्रक में रहे. इसके अलावा उन्होंने 10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की. मौन तपस्वी संत सियाराम बाबा भक्तों से सिर्फ 10 रुपये का ही दान स्वीकार करते थे. वे 10 रुपये से एक पैसा भी अधिक नहीं लिया करते थे. वे इन्हीं 10-10 रुपयों का उपयोग नर्मदा के घाटों के जीर्णोद्धार के लिए किया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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