नई दिल्लीः 17 जुलाई से भगवान शिव का प्रिय माह सावन शुरू होने जा रहा है. ऐसे में हर तरफ इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. वहीं यह माह कांवड़ियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होती है. बता दें सावन में लाखों की तादात में कांवड़िये अलग-अलग जगहों से आते हैं और गंगा का जल अपने कांवड़ में भरकर पैदल यात्रा शुरू करते हैं. कांवड़िए अपने कांवड़ में जो जल एकत्रित करते हैं उससे सावन की चतुर्दशी पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. बता दें कांवड़ यात्रा धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसके चलते हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िए इस यात्रा में भाग लेते हैं. 


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कांवड़ यात्रा 2019
साल 2019 की कांवड़ यात्रा 17 जुलाई से शुरू होने जा रही है. ऐसे में हर तरफ इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. मेरठ से लेकर बुलंदशहर के गुलावठी में भी तैयारियां जोरों पर है. जिसे लेकर मार्गों को दुरुस्त कराए जाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं.


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कांवड़ यात्रा का महत्व
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से जो विष निकला था, उसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए पी लिया था. जिसके बाद से भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाने लगा. भगवान शिव के विष का सेवन करते ही दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा. ऐसे में भोलेनाथ के शरीर को जलता देख कर देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया और इसी मान्यता के अंतर्गत कावड़ यात्रा का महत्व माना गया है.


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कांवड़ में जल भरने का शुभ समय
कांवड़ में जल भरने का शुभ समय 18 जुलाई 2019 को द्वितीया तिथि के दौरान सुबह सुर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक है.