Karwa Chauth 2022: शादीशुदा महिलाएं हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती है. इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ रही है. करवा चौथ के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. हालांकि, इस साल करवा चौथ के व्रत को लेकर बड़ी अफवाह लोगों के बीच में फैल रही है. कुछ ज्योतिषविदों के मुताबिक, इस साल करवा चौथ पर शुक्र ग्रह अस्त रहेगा, इसलिए नव-विवाहित महिलाएं अपना पहला करवा चौथ का व्रत नहीं रख सकेंगी. आइए जानते हैं कि इस दावे में कितनी सच्चाई है? 


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हर दो-तीन साल में अस्त होता है शुक्र ग्रह 


ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, करवा चौथ पर नव-विवाहितों के व्रत न रखने का दावा सिर्फ एक अफवाह है. उन्‍होंने बताया, करवा चौथ पर हर दो-तीन साल में शुक्र ग्रह अस्त होता है, इसके बावजूद लाखों नव-विवाहिताएं महिलाएं ये व्रत रखती हैं. करवा चौथ के व्रत का संबंध चंद्रमा से होता है, इसलिए इस दिन शुक्र अस्त हो या उदयवान, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.


हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य ने कही ये बात 


हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी के मुताबिक, करवा चौथ के व्रत को लेकर कुछ लोग बड़ी ही निराधार और भ्रामक बातें कर रहे हैं. ऐसी अफवाह है कि इस साल करवा चौथ पर शुक्र ग्रह अस्त रहेगा और इसलिए नव-विवाहिताएं अपना पहला करवा चौथ का व्रत ना रखें. ऐसी महिलाएं अगले साल से इस व्रत की शुरुआत करें. ये दावा बिल्कुल गलत है.


शुक्र ग्रह का व्रत रखने से नहीं है संबंध
 
पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया है कि करवा चौथ पर अक्सर शुक्र ग्रह अस्त रहता है. विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, व्रत उद्यापन आदि जैसे शुभ कार्यों में शुक्र की स्थिति पर विचार किया जाता है, लेकिन पितृ कार्य और व्रत रखने में शुक्र ग्रह का कोई संबंध नहीं होता. उन्‍होंने बताया है कि नव-विवाहिताएं महिलाएं बिना किसी डर या संकोच के अपना पहला करवा चौथ का व्रत रखें. 


पूजन विधि


सुबह स्नान करने के बाद करवा चौथ व्रत का संकल्प लें. चौथ माता की पूजा करें. फिर इसके बाद अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखें. इस दिन पूजा के लिए 16 श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें. चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं और फिर पति के हाथों जल ग्रहण करके भोजन करते हैं.


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