बिहार में खाटू श्याम के इस मंदिर से कभी खाली हाथ नहीं जाते भक्त, बड़ी से बड़ी समस्या भी पल में दूर करते हैं भगवान
Khatu Shyam ji Mandir Bihar: राजस्थान के अलावा अब भक्त अपनी मनोकामना की अर्जी लगाने बिहार के खाटू श्याम में जा सकते हैं. मान्यता है कि कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटा है. आइए विस्तार में जानें बिहार के खाटू श्याम के मंदिर के बारे में.
Shri Khatu Shyam Ji Temple : किसी भी प्रकार की परेशानी हो या फिर लंबे समय से कोई इच्छा. हर मुश्किल का हल खाटू श्याम में मिल जाएगा. पर कई बार भक्त किसी परेशानी की वजह से राजस्थान के अगर खाटू श्याम नहीं जा पा रहे तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. दरअसल खाटू श्याम के दर्शन अब बिहार में भी कर सकते हैं. हालांकि भक्तों को अगर खाटू श्याम के दर्शन करते हैं तो उन्हें बिहार के सीतामढ़ी में जाना होगा. जहां से कोई भी भक्त खाल हाथ नहीं लौटता.
इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के खाटू श्याम के ही तर्ज पर कराया गया है. मंदिर में खाटू श्याम की मूर्ति मन को मोह देने वाली है. भक्तों की मंदिर की नक्काशी और शांति यहां से जाने नहीं देती. यहां जाने पर मंदिर में पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता नजर आता है. आइए विस्तार में जानते हैं बिहार के खाटू श्याम मंदिर के बारे में.
मंदिर में नारियल बांधने की है परंपरा
बिहार के इस खाटू श्याम मंदिर में अधिकतर व्यापारी लोग आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर अधिकतर व्यापारी भक्त इसलिए आते हैं क्योंकि उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मनोकामना पूरी हो इसके लिए मंदिर में प्रवेश करने से पहले पिछले हिस्से में लाल कपड़े में नारियल बांधने की परंपरा है. दरअसल लोगों का ऐसा कहना है कि यदि भक्त अपनी इच्छा लेकर आता है पर खाटू श्याम के मंदिर के पीछे की हिस्से में नारियल नहीं बांधता तो उसकी मनोकामना पूरी नहीं होती. बतादें कि मंदिर में स्थापित खाटू श्याम की मूर्ति को राजस्थान से ही मंगाया गया है.
मंदिर बनाने में लगे 12 साल
बता दें कि मंदिर का निर्माण 12 साल पहले तो हुआ है पर भक्तों की आस्था यहां पहले से ही है. दरअसल यहां पर लोग 1957 से ही पूजा अर्चना कर रहे हैं. पर जब से खाटू श्याम की यहां पर प्राण प्रतिष्ठा हुई है तब से लाखों भक्तों की मनोकामना पूरी हुई है. यही कारण है कि भक्त बड़ी श्रद्धा से मंदिर में अपनी अर्जी लेकर नारियल बांधते हैं. यहां हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां पर मंदिर के विकास कार्य में भक्त खुद ही मिलकर सब करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)