नई दिल्ली: धार्मिक क्रियाओं में दो शब्द हमेशा आते हैं, मंत्र (Mantra) और श्लोक (Shloka). कई लोग इन्हें एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं, जबकि दोनों के बीच कई अंतर हैं. ये हमारे लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं और इनसे जीवन में सकारात्मक (Positive) असर भी पड़ सकता है. ज़ी आध्यात्म में जानिए मंत्र और श्लोक के बीच के विशेष अंतर.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या हैं मंत्र और श्लोक
मंत्र (Mantra) सीधे मन से उत्पन्न हुए हैं, उन्हें लिखकर नहीं बनाया गया, जैसे वेदों की ऋचाएं. वेदों में दर्ज ऋचाएं मंत्र कहलाती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे स्वयं प्रकट हुई थीं, इन्हें किसी ने लिखा नहीं था. मन से उत्पन्न हैं इसलिए मंत्र कहलाते हैं.


यह भी पढ़ें- Zee Aadhyatm: बेहद गुणकारी है प्राकृतिक औषधि 'जौ', इसके सेवन से होगा कैंसर तक से बचाव


श्लोक (Shloka) का अर्थ ठीक इसके विपरीत है. जो किसी के द्वारा लिखा गया हो, जिसे किसी ने रचा हो, उसे श्लोक कहते हैं. जैसे भागवत या वाल्मीकि रामायण, महाभारत, ये ग्रंथ धरती पर रहने वाले ऋषि-मुनियों ने लिखे हैं. संस्कृत के श्लोकों में गूढ़ ज्ञान छिपा है. ये श्लोक ही हैं, जो जीवन के हर पड़ाव पर जीने का सही तरीका सिखाते हैं.


यह भी पढ़ें- ज़ी आध्यात्म में जानिए वो मंत्र जिससे घर में आएगी सुख शांति


आज का श्लोक है
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥


यह भी पढ़ें- Zee Aadhyatm : गौरी शंकर मंदिर के दर्शन से पूरी होगी मनोकामना, जानिए सदियों पुराना इतिहास


श्लोक का अर्थ
ऐसे देवता को प्रणाम है,
जो कल्याण करते हैं,
रोग मुक्त रखते हैं,
धन सम्पदा देते हैं,
जो विपरीत बुद्धि का नाश करते हैं
मुझे सद मार्ग दिखाते हैं,
ऐसी दिव्य ज्योति को मेरा परम नम:


धर्म से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें