Leadership Qualities from Arjuna: महाभारत में ऐसे कई किरदार और किस्से हैं जिनकी कहानियां आपने सुनी होंगी. इनसे व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने को मिलता है. आज हम बात कर रहे हैं महाभारत के महान योद्धा अर्जुन की. द्रोणाचार्य और कृपाचार्य से उन्हें धनुर्विद्या, युद्ध कला और अन्य शास्त्रों की शिक्षा मिली थी. महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण उनके सारथी बने और उन्हें कर्म और धर्म का ज्ञान दिया था. इसी के चलते आज हम आपको अर्जुन के वो गुण बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाने से आप अच्छे लीडर बन सकते हैं.


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बल और बुद्धि
महाभारत में ऐसे कई किस्से हैं जिसमें अर्जुन ने अपनी बुद्धि और बल का प्रयोग बहुत अच्छे से किया था. हर परेशानी और समस्या में वह शारीरिक और मानसिक शक्ति का इस्तेमाल करना बखूबी जानते थे. इसी तरह व्यक्ति को भी अपने बुद्धि और बल का प्रयोग सही समय पर सही तरीके से करना चाहिए.



कर्म पर ध्यान
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया था कि मोह-माया को छोड़कर कर्म पर ध्यान देने चाहिए. इसके अलावा किसी भी समस्या का सामना बिना मन विचलित करने से सफलता हासिल होती है. इसी तरह व्यक्ति को अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और सुख-दुख की मोह माया छोड़ देनी चाहिए. इससे व्यक्ति अच्छी लीडर तो बनता ही है बल्कि सफलता भी हासिल होती है.


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धैर्य
महाभारत के वीर योद्धा अर्जुन बुद्धिमान, ताकतवर के साथ-साथ धैर्यवान भी थे. इसी तरह व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो उसे धैर्यवान होना बहुत जरूरी है. सफलता हासिल करने के लिए व्यक्ति को धैर्य रखना बेहद जरूरी होता है. 



परक्रमी
व्यक्ति को अर्जुन से पराक्रमी होने का गुण सीखना चाहिए. पराक्रमी का अर्थ है जो हर काम कर सकता है और किसी भी मुश्किल का सामना करने में डरता नहीं है. इसी तरह व्यक्ति को हर स्थिति में पराक्रमी हो कर दिक्कतों का सामना करना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)