Mauni Amavasya 2021: किस दिन है मौनी अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व
वैसे तो साल में 12 अमावस्या आती है लेकिन उसमें से माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है और इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन मौन व्रत रखने से क्या होता है, जानें.
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास (Magh Maas) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Aamavasya) तिथि को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) कहा जाता है. इस दिन लोग गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और फिर जरूरतमंदों को दान दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की ही तरह इस दिन भी स्नान-दान का विशेष महत्व है और ऐसा करने से व्यक्ति का आत्मबल मजबूत होता है. आपको बता दें कि हर महीने 1 अमावस्या होती है और इस तरह से साल में 12 अमावस्या होती है जिसमें से माघ मास की अमावस्या और सावन मास (Savan Maas) की अमावस्या का खास महत्व होता है.
11 फरवरी 2021 को है मौनी अमावस्या
माघ मास की अमावस्या या मौनी अमावस्या इस साल 11 फरवरी दिन गुरुवार को है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के साथ ही पीपल के वृक्ष की भी पूजा की जाती है. मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत (Maun Vrat) रखने की भी परंपरा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मौनी शब्द की उत्पत्ति मुनि शब्द से हुई है इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को उत्तम फल की प्राप्ति होती है. अगर आप मौन व्रत नहीं रख सकते तो कम से कम घर में लड़ाई-झगड़ा और क्लेश न करें, ऊंचे स्वर में न बोलें और ना ही किसी को कटु वचन बोलें.
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मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 10 फरवरी की आधी रात 1 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो रही है जो अगले दिन 11 फरवरी की देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. चूंकि उदया तिथि 11 फरवरी को हो रही है इसलिए मौनी अमावस्या 11 फरवरी 2021 को मनाया जाएगा. यह दिन इस लिहाज से भी शुभ है कि इस दिन विष्णु भगवान का ही दिन गुरुवार है और मौनी अमावस्या पर भी भगवान विष्णु की ही पूजा अर्चना की जाती है.
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मौनी अमावस्या का महत्व
जैसा कि हमने पहले ही बताया कि माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या का अपना विशेष महत्व है. इस दिन गंगा नदी (Ganga River) या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर गंगा नदी तक जाना संभव न हो तो घर के पानी में ही गंगा जल मिलकर उससे स्नान कर सकते हैं. फिर पूरे दिन मौन रहकर व्रत करें. स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को तिल, अनाज, कंबल, आंवला आदि का दान करें. किसी भूखे व्यक्ति को भोजन करवाएं. इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण या पिंडदान (Pind daan) भी करना चाहिए.