इस एकादशी पर विधि-विधान से व्रत रखने से पूर्व एवं इस जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए एकादशी व्रत को अत्यंत शुभ माना गया है. यह व्रत अक्टूबर माह की 27 तारीख को पड़ने जा रहा है. आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं. इस एकादशी पर विधि-विधान से व्रत रखने से पूर्व एवं इस जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है. आइए भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा और उसके नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं:
पापाकुंशा एकादशी व्रत कथा
एक समय विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहुत ही क्रूर, कपटी और छल-कपट में हमेशा लिप्त रहने वाला बहेलिया रहा करता था. जब उसका अंत समय आया तो यमराज ने अपने दूतों को उस दुष्ट बहेलिया के प्राण हरने के लिए भेजा. इसके बाद जब यमराज के दूतों ने बहेलिया के पास जाकर कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन रहेगा. ऐसा सुनते ही बहेलिया घबरा गया और अपने प्राण को बचाने के लिए महर्षि अंगिरा के पास मदद मांगने पहुंचा. तब महर्षि ने उस बहेलिये को पापों से मुक्ति दिलाने वाले पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने को कहा. बहेलिया द्वारा इस व्रत को रखने के कारण पूर्व में किए गये पाप नष्ट हो गए और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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कैसे रखें एकादशी का व्रत
पापांकुशा एकादशी व्रत को श्रद्धा एवं भक्ति भाव से करने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं और उसे सुख, संपत्ति, सौभाग्य और मोक्ष प्रदान करते हैं. पापांकुशा एकादशी व्रत वाले दिन साधक को प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के पश्चात् सबसे पहले श्री हरि विष्णु का ध्यान करके व्रत को पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद ईशान कोण में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पीले कपड़े पर रखें और उनका स्नान कराएं. ध्यान रहे कि भगवान विष्णु की पूजा में चावल का प्रयोग न करें. चावल की बजाय गेहूं की ढेरी पर भगवान का कलश रखकर उसमें गंगा जल भरें और उस पर पान के पत्ते और श्रीफल यानि नारियल रखें. कलश में रोली से ओम और स्वास्तिक बनाएं. इसके भगवान विष्णु को विशेष रूप से पीले पुष्प और पीले फल आदि चढ़ाएं. यदि संभव हो तो अजा एकादशी की रात्रि को जागरण करते हुए भगवान का कीर्तन करना चाहिए. व्रत के दूसरे दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करें. व्रत वाले दिन साधक को अपने सामथ्र्य के अनुसार पूजा.पाठ, भजन तथा ब्राह्मणों को दान व दक्षिणा देना चाहिए.
कब है एकादशी व्रत
भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाली पापांकुशा एकादशी की तिथि अक्टूबर माह की 26 को प्रात:काल 09:00 बजे प्रारंभ हो जाएगी और 27 अक्टूबर 2020 की सुबह 10:46 तक रहेगी. वहीं इस व्रत का पारण 28 अक्तूबर को प्रात:काल 06:30 से लेकर सुबह 08:44 के बीच में किया जा सकेगा. ध्यान रहे कि इस व्रत को करने वाले साधक को एकादशी के एक दिन पहले रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए. व्रत वाले दिन भी अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए. दूसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए. व्रत वाले दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
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साल 2020 की आने वाली एकादशी
11 नवंबर 2020 — रमा एकादशी
25 नवंबर 2020 — देवउठनी एकादशी
11 दिसंबर 2020 — उत्पन्ना एकादशी
25 दिसंबर 2020 — मोक्षदा एकादशी