Parivartini Ekadashi 2023: भारतीय धार्मिक परंपरा में एकादशी व्रत मनाने की एक विशेष तिथि है, जिस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आती है और इसे मनाने का महत्व भी बहुत अधिक है. इस साल, परिवर्तिनी एकादशी 25 और 26 सितंबर को मनाई जा रही है, जिसमें 25 सितंबर को व्रत रखा जाएगा. इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि मान्यता है कि भगवान विष्णु अपनी निंद्रा में करवट बदलते हैं.


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व्रत पालन का नियम
व्रत के दिन, भक्त जल्दी उठकर स्नान करते हैं, साफ वस्त्र पहनते हैं और भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष तुलसी और अन्य पुष्प चढ़ाते हैं. पूजा-पाठ और आरती के साथ दिनभर भजन, गीत और कीर्तन भी गाए जाते हैं. एकादशी के व्रत में, भक्तों को विशेष प्रकार का आहार पालन करना होता है. इस दिन आलू, साबुदाना, शकरकंदी, आदि का सेवन किया जा सकता है, जबकि मांस, लहसुन, प्याज और मसूर की दाल से परहेज किया जाता है.


परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा
कथाओं में बताया गया है कि पूर्वकाल में एक राजा हरिश्चंद्र थे, वह अपनी प्रजा के प्रति बहुत दयालु और न्यायप्रिय थे. लेकिन उमके जीवन में एक समय ऐसा आया जब वह अपनी संपत्ति और साम्राज्य को खो बैठे. वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ नगर से बाहर चले गया और श्मशान में चंडाल बन गए. एक दिन, वह सागर के किनारे पहुंचे, जहां उन्होंने महर्षि गौतम से भिक्षा लेने का प्रयास किया. राजा की परेशानी जानकर महर्षि गौतम ने उन्हें परिवर्तिनी एकादशी के व्रत के बारे में बताया. राजा हरिश्चंद्र ने परिवर्तिनी एकादशी का व्रत ध्यानपूर्वक और भक्ति भाव से किया. इसके बाद उनकी समस्याएं कम होती चली गईं और अंत में उन्होंने अपनी संपत्ति और सम्मान वापस प्राप्त कर लिया.


व्रत का फल
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने वाले साधकों को जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है, घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है और जीवन के कष्ट और दुख दूर होते हैं. इस व्रत को विधि पूर्वक करने वाले लोग मोक्ष की प्राप्ति करता है.


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)