Bhadrapada Pradosh Vrat 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जैसे एकादशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा में समर्पित है, ठीक वैसे ही प्रदोष का दिन भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में महादेव शिव की पूजा के लिए की जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है. भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी स्थिति बदलते हैं, उसी तरह भाद्र माह के प्रदोष व्रत पर भगवान शिव भी अपना आसन बदलते हैं. इसे शिव आसन परिवर्तन उत्सव भी कहा जाता है. इस अवसर पर, अगर कोई व्यक्ति विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है, तो उस पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है.


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शुभ मुहूर्त
भाद्र माह के अंतिम प्रदोष व्रत की शुरुवात 27 सितंबर को प्रातः काल 1 बजकर 47 मिनट पर होगी और रात 10 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगा. व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 58 मिनट से रात 7 बजकर 52 मिनट तक है. इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ होता है. इस दिन भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए और धतूरा, कनेल का फूल, शम्मी पत्ता का उपयोग कर षोड़शोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए. 


राशियों पर प्रभाव
वृश्चिक राशि- इस राशि के जातकों पर से शनि की कुदृष्टि समाप्त होगी और उन्हें सफलता मिलेगी. वे अपने जीवन में हर काम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. 


मकर राशि- इस राशि के लोग वर्तमान में शनि के साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं, लेकिन भगवान शिव का आसन परिवर्तन आपके लिए लाभदायक होगा.


कुंभ राशि- वर्तमान समय में शनि ग्रह इस राशि में है, लेकिन प्रदोष व्रत के बाद कुंभ राशि के जातकों का समय बदलने वाला है, और उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा मिलेगी.


मीन राशि- मीन राशि के जातकों पर शनि का साढ़ेसाती है, लेकिन प्रदोष व्रत के दिन उन्हें भगवान शिव की कृपा से राहत मिलेगी.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)