Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के सुविचार आज लोगों को जीवन में सही राह के साथ चलना सीखा रहे हैं. ऐसे में एक सत्संग के दौरान एक पिता जब यह सवाल लेकर आया कि उसके माता पिता कहते हैं कि बेटा चाहिए, लेकिन मेरी दो बेटियां हैं ऐसे में मैं क्या करूं! आइए विस्तार में जानते हैं कि फिर प्रेमानंद जी महाराज ने उस व्यक्ति के सवाल पर कैसा जवाब दिया!


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बेटियों को कम आंकने की ना करें कोशिश


जब सत्संग के दौरान एक पिता ने यह सवाल किया कि महाराज जैसा कि घर वाले बोलते हैं कि एक बेटा हो जाए. दरअसल मैं दो बेटियों का पिता हूं. ऐसे में समझ नहीं आता क्या करूं! तब प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि देखो सभी की आकांक्षा होती है पर हमारे प्रारब्ध भी तो हैं. तो क्या दो बच्चियां बच्चे नहीं हैं क्या. तुम्हें किसी की नहीं सुनना है बच्चियों को बेटे के समान या उनसे भी अधिक मानो.


 



 


देवी का रूप हैं बेटियां


प्रेमानंद जी महाराज ने हमारे देश की राष्ट्रपति का उदाहरण देते हुए कहा कि बुद्धि भ्रष्ट है उन लोगों जो बच्चियों को अच्छा नहीं मानते हैं. आज हमारे देश की राष्ट्रपति एक महिला ही हैं, वह भी एक देवी ही हैं. इस साल गणतंत्र दिवस पर जब हमारे देश की राष्ट्रपति के सामने महिलाओं का जलसा निकला था परेड के रूप में तो सभी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था. ये हमारे देश की वीरांगनाएं हैं जो आज बॉर्डर पर खड़ी मिलेंगी आपको.


लड़कियां नहीं होंगी तो लड़के कहां से आएंगे


प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि लड़कियां क्या कोई निषेध है और लड़कियां नहीं पैदा होंगी तो लड़कों को जन्म देगा. माताएं नहीं होंगी तो हमलोग कहां से आएंगे.


बेटियों के बिना मकान घर नहीं कहलाता


वहीं प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि बेटी एक दैवीय शक्ति हैं. बेटियों के बिना जीवन कुछ भी नहीं है. मान लो आप बडुत बड़े व्यक्ति हैं आपके पास बहुत बड़ा बंगला और घर है खुब पैसे वाले हैं आप पर उस घर में माता और बहने ही नहीं हो तो लगेगा कि वह घर नहीं है बल्कि एक खंडहर और शुन्य सा प्रतित होगा. वहीं दूसरी तरफ एक मिट्टी की दिवार हो, छपरा हो और उस घर को गोबर से लिपती एक माई हो तो उससे सुंदर घर और कोई हो ही नहीं सकता है. एक कन्या को लक्ष्मी समझा जाता है. बेटी को बेटे की तरह ही समझो.


धक्के खाए मां बाप का सहारा होती हैं बेटियां


प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि आजकल जब बेटे के घर से माता पिता को धक्का लगता है तो कौन पालन पोषण करता है उनका! वह कोई और नहीं बल्कि बेटी ही होती हैं. इसलिए बड़े बुजूर्ग यह कहे कि हमारे घर को वंश चाहिए बेटा चाहिए तो उनका वैसा ही स्वभाव होता है. वह हमेशा कहते हैं कि एक लड़का हो जाए लड़का हो जाए   


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)