Vat Savitri Vrat 2024: 6 या 7 जून कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, क्लिक कर जानें सही तारीख और पूजा विधि
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Vat Savitri Vrat 2024: 6 या 7 जून कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, क्लिक कर जानें सही तारीख और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat: ज्योतिष शास्त्र में हर तिथि का अपना महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और विधि विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं. इस बार वट सावित्री कब रखा जाएगा जानें. 

 

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Vat Savitri Vrat 2024 Date: ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं, इस दिन भगवान प्रसन्न होकर महिलाओं को सौभाग्य का वरदान देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि आज के दिन सावित्री सत्यवान को यमराज के पास से जीवित लेकर आई थीं. 

व्रत को लेकर मान्यता है कि जो महिलाएं वट सावित्री व्रत के दिन व्रथ रखती हैं उन्हें सौभाग्य का वरदान मिलता है. इस दिन पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए कामना की जाती है. वहीं, इस दिन कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए भी व्रत रखती है. इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है. जानें इस दिन का शुभ मुहू्र्त. 

कब है वट सावित्री व्रत

वैदिक पंचांग के अनुसार हर तिथि का अपना अलग महत्व होता है. बता दें कि इस साल वट सावित्री का व्रत 6 जून 2024 गुरुवार के दिन रखा जाएगा. वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही रखा जाता है. इस दिन अमावस्या तिथि की शुरुआत 6 जून सुबह 5 बजकर 34 मिनट पर हो रही है. उदयातिथि के अनुसार वट सावित्री का व्रत 6 जून को ही रखा जाएगा. इस दिन धृति नामक योग का भी निर्माण हो रहा है. शास्त्रों में इस योग को बहुत शुभ माना गया है.  

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 
 
हिंदू पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा 6 जून सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 6 जून को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर 3 बजे तक के समय को छोड़कर पूरा दिन शुभ मुहूर्त है.

वट सावित्री पूजा विधि

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. सोलह श्रृंगार करें. मान्यता है कि वट सावित्री के दिन पीला सिंदूर लगाया जाता है. इसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठ जाएं और सावित्री और सत्यवान के साथ यमराजी की मूर्ति रखें. और पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इसके बाद वट वृक्ष की जड़ में अक्षत, फूल और फल अर्पित करें. रक्षा सूत्र बांधें. वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर सात बार परिक्रमा करें. हाथ जोड़कर कथा सुनें. ब्राह्मण को दान दें. इसके साथ ही अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए भी प्रार्थना करें.   

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

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