Premanand Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि आखिर क्यों किया जाता है मृत्यु के बाद श्राद्ध, पिंडदान
Premanand Ji Maharaj on Pind Daan: हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शरीर के मोक्ष और आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. प्रेमानंद जी महाराज ने ऐसा करना क्यों जरूरी है इसके पीछे की खास वजह बताई, जो कि सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.
Premanand Maharaj Latest Videos: इन दिनों सोशल मीडिया पर वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो रखे हैं. प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी के अनन्य भक्त हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संग के दौरान लोगों को मोक्ष का रास्ता बताते हैं.
सोशल मीडिया पर प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में व्यक्तियों द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब काफी वायरल होते हैं. हाल ही में उनके सत्संग में जब एक व्यक्ति ने यह पूछा कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. उसके बाद उसकी आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान क्यों किया जाता है, क्या ऐसा करना आवश्यक है! तो चलिए विस्तार में प्रेमानंद जी महाराज ने क्या उत्तर दिया जानते हैं!
मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान है जरूरी
प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल के उत्तर में कहा कि जब भी हम लोग व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसका पिंड दान करते हैं. उस दौरान व्यक्ति द्वारा बोले गए पिंडदान के मंत्र सबसे पहले भगवान के पास पहुंचते हैं. जिसके वजह है वो जीव जहां भी होगा उसका पुण्य भगवान उसे पहुंचा देते हैं.
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किसी भी रूप में होती है पिंडदान की प्राप्ति
प्रेमानंद जी महाराज आगे बताते हैं कि हमारे पूर्वज किसी भी योनि में होंगे उन्हें अपनों द्वारा किए गए पिंडदान, तर्पण और दान प्राप्त हो जाता है. दरअसल यह भगवान द्वारा उन्हें पहुंचा दिया जाता है. व्यक्ति को तो नहीं पर भगवान को अवश्य यह पता होता है कि पिंड दान कर रहें पूर्वज अब कहां और किस योनि में होंगे. जिसके बाद उस जीव मंगल और उन्नति होना संभव हो जाता है.
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सुख और समृद्धि की होती है प्राप्ति
प्रेमानंद जी आगे कहते हैं कि पिंड दान मंत्रों द्वारा भगवान को प्राप्त हो जाता है. जिसकी वजह से पूर्वजों के परिजनों को सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)