Raksha Bandhan: रक्षाबंधन पर छायेगा भद्रा का साया, इस शुभ मुहूर्त पर बांधे कलाई पर राखी
Raksha Bandhan Kab Hai: धर्मशास्त्रों में लिखा है कि भद्रा के समय में रक्षाबंधन का पर्व विशेष रूप से वर्जित है. रक्षाबंधन का कार्य अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में होना चाहिए और भद्रा का त्याग करना चाहिए.
Raksha Bandhan in 2023: कोई भी त्योहार आए, इसको मनाने को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाती है. भाई-बहन के अटूट प्रेम के धागे का त्योहार रक्षाबंधन की तारीख को लेकर आप लोग क्लियर हो जाएं. रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र के बांधने के समय यानी मुहूर्त का बहुत बड़ा योगदान होता है. हर महत्वपूर्ण कार्य यदि सही समय पर किया जाए तो उसके विशेष फल प्राप्त होते हैं. चलिए जानते हैं कि इस वर्ष रक्षाबंधन कब है और किस समय बहन से भाई अपनी कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाए.
श्रावण मास में पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 30 अगस्त को रात में 9 बजकर 2 मिनट के बाद ही मनाया जाएगा. सामान्य तौर पर लोग पूर्णिमा की तारीख तो देख लेते हैं और पर्व को दिन भर अपनी सुविधा के अनुसार मनाते हैं, जो गलत है. पूर्णिमा के दिन यदि भद्रा काल हो तो उसका समय खत्म होने के बाद ही बहनों को अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधना चाहिए. वर्ष में एक बार मनाएं जाने वाले इस पर्व को मुहूर्त आदि देखकर ही मनाया जाना चाहिए. उचित मुहूर्त में किया गया कार्य अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त करता है.
धर्मशास्त्रों में लिखा है “भद्रायांद्वे कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा” अर्थात भद्रा के समय काल में रक्षाबंधन का पर्व विशेष रूप से वर्जित है. “अपराह्णव्यापिनी स्याद्रक्षाबन्धनकर्मणि” अर्थात रक्षाबंधन का कार्य अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में होना चाहिए और भद्रा का त्याग करना चाहिए. रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस तरह पूर्णिमा की तिथि 30 अगस्त को है. उस दिन पूर्णिमा वैसे तो प्रातः 10.59 बजे से प्रारंभ हो जाएगी और 31 अगस्त को प्रातः 7.06 बजे समाप्त होगी. लेकिन इस बार पूर्णिमा लगने के साथ ही भद्राकाल शुरु हो जाएगा और यह रात में 9.02 बजे तक रहेगा. इसलिए धर्मशास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में बहनों को अपने भाई के हाथ में रक्षासूत्र नहीं बांधना चाहिए.
निर्णयामृत ग्रंथ में भी लिखा है, "भद्रां विना चेदपरान्हे तदा परा। तत् सत्त्वे तु रात्रावपीत्यर्थ:" अर्थात भद्रा के रहने पर और भद्रा में रक्षाबंधन नहीं किया जाता है. यह तो भद्रा के बाद ही किया जाता है. भले ही उस समय रात्रि ही क्यों न हो. धर्मग्रंथ यह भी कहते हैं कि भद्रा स्वर्ग, पाताल या पृथ्वी कहीं भी हो, रक्षाबंधन का पर्व निषेध है. बाकी अन्य कार्यों में भद्रा का वास देखते हुए निर्णय लिया जाता है. निर्णय सागर पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को रात्रि 9.02 बजे के बाद से 31 की सुबह 07.06 तक मनाया जाएगा.
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