Ram Mandir Ayodhya: भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी बड़े जोर-शोर से हो रही है. अयोध्या के राम मंदिर का पूरे भारत के देशवासी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस और महर्षि वाल्मीकी द्वारा रचित रामायण में अयोध्या नगरी का किस प्रकार वर्णन किया हुआ है? चलिए आज हम आपको बताएंगे महर्षि वाल्मीकी द्वारा रचित रामायण और तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में अयोध्या का वर्णन कैसा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वाल्मिकी जी के अनुसार अध्योया (Valmiki Ramayan)
रामायण के बालकांड के पांचवें सर्ग में महर्षि वाल्मिकी जी ने अयोध्या का विस्तार से वर्णन किया है. रामायण ग्रंथ के मुताबिक अयोध्या को मनु द्वारा बसाया गया था जोकि पहले कौशल जनपद की राजधानी हुआ करती थी. 


कोसलो नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान।
निविष्ट: सरयूतीरे प्रभूत धनधान्यवान्।।


अयोध्यापुरी के वैभव और भव्यता का वाल्मिकी जी ने कुछ इस प्रकार वर्णन किया है कि कोसल नामक एक बड़ा देश सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों और धनधान्य से पूर्ण था. इसके साथ ही अयोध्या नगरी 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी इस बात का भी वर्णन मिलता है. अयोध्या की सड़कों पर रोजाना जल छिड़काव और फूल बिछाने का विधान था. 


अयोध्या नगरी में बाजार, बड़े-बड़े तोरण द्वार और नगरी की रक्षा के लिए अच्छे शस्त्र और यंत्र भी मौजूद थे. इस नगरी में गहरी खाई और दुर्गम किले थे. इसी वजह से इस नगरी को कई भी शत्रु छू भी नहीं पाता था. वाल्मिकी जी के अनुसार अयोध्या नगरी में कुओं में जल गन्ने के रस के समान भरा हुआ था. पूरी नगरी में जगह-जगह उद्यान बने हुए थे. इस नगरी में कोई भी गरीब नहीं था. अयोध्या के नगरवासियों के पास धन-धान्य और पशुधन आदि की कोई कमी नहीं थी. महर्षि वाल्मिकी द्वारा वर्णित अयोध्या नगरी बेहद समृद्ध थी. 


तुलसीदास जी की अध्योया (Tulsidas Ramcharit Manas)
रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भी अयोध्या नगरी का बड़ी भव्यता के साथ वर्णन किया हुआ है. तुलसीदास ने प्रभु राम की अयोध्या नगरी का वर्णन बड़े ही भक्ति-भाव से किया है. 


राम धामदा पुरी सुहावनि। लोक समस्त बिदित अति पावनि॥
चारि खानि जग जीव अपारा। अवध तजें तनु नहिं संसारा॥


गोस्वामी तुलसीदास रामायण के बालकांड में लिखते हैं कि प्रभु राम की अयोध्या नगरी मोक्षदायिनी और परम धाम देने वाली थी. जिस जीव की मृत्यु इस नगरी में होती थी उसका संसार से बेड़ा पार हो जाता था और फिर कभी संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता था. इसके साथ ही सरयू नदी के बारे में तुलसीदास लिखते हैं कि इस नदी में केवल स्नान ही नहीं बल्कि इसके दर्शन और छूने मात्र ले व्यक्ति के सारे पापों का नाश हो जाता हैं. 


जातरूप मनि रचित अटारीं। नाना रंग रुचिर गच ढारीं॥
पुर चहुँ पास कोट अति सुंदर। रचे कँगूरा रंग रंग बर॥


तुलसीदास जी ने राम जी के वनवास के वापिस लौटने के बाद उत्तरकांड में अयोध्या के बारे में लिखते हुए बताया कि अयोध्यावासियों के घर सोने और रत्नों से जड़े हुए थे. उनके घरों के खंबे से लेकर फर्श और अटारी तक सब अनेक रंग-बिरंगी मणियों से से जड़े हुए थे. ऋषि-मुनियों ने सरयू नदी के किनारे तुलसी के साथ कई अन्य पेड़ भी लगा रखे थे. प्रभु राम की अयोध्या के नगरवासी सारे सुखों से परिपूर्ण थे. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)