Ramayan Story of Yuvraj Angad expressed doubts in coming back after crossing the Sea: सीता माता की खोज करते जामवंत और युवराज अंगद आदि को गिद्धराज संपाति मिले. उन्‍होंने वार्तालाप में जैसे ही बताया कि उसका भाई गिद्धराज जटायु का रावण ने वध सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकि वह सीता माता को चुरा कर ले जा रहे रावण से भिड़ गए थे. इस पर संपाति ने उस स्थान पर पहुंच कर अपने भाई जटायु का श्राद्ध कर्म करते हुए अपने पंख जलने से लेकर चंद्रमा मुनि द्वारा कही गई कथा दोहराई. उसने कहा कि लगता है अब उस कथा के सत्य होने का समय आ गया है. 


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इसके बाद संपाति ने बताया कि रावण समुद्र पार त्रिकूट पर्वत पर लंका नाम की नगरी में रहता है और सीता माता को उसने वहीं की अशोक वाटिका में रखा है. इस समय माता सीता एक पेड़ के नीचे बैठ कर प्रभु श्री राम के बारे में ही विचार कर रही हैं कि कब श्री रघुनाथ वहां पहुंच कर उन्हें रावण की कैद से मुक्त कराएंगे. गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामचरित मानस के किष्किंधा कांड में लिखा कि जब गिद्धराज संपाति फिर से पंख निकलने के बाद इतना कह कर वहां से चला तो अंगद आदि सभी वानरों को अत्यंत विस्मय हुआ.


समुद्र पार करने के लिए वानरों ने की मंत्रणा 


सभी वानरों ने सौ योजन समुद्र के पार जाकर सीता माता का पता लगाने के लिए चर्चा की. इस दौरान उन्‍होंने अपने-अपने विचार सुनाए और अपनी शक्ति के बारे में बताया किंतु इतना विशाल समुद्र लांघने में असमर्थता व्यक्त की. सभी वानरों की बातें सुनने के बाद अति धीर जामवंत जी ने कहा कि अब तो मैं बूढ़ा हो चुका हूं, अब शरीर में पहले वाली ताकत नहीं है. मुझे वह समय याद है जब खर के शत्रु श्रीराम वामन बने थे तब मैं जवान था और मुझमें बहुत ताकत थी. बालि को बांधते समय प्रभु श्री राम इतना अधिक बढ़े थे कि उस शरीर का वर्णन नहीं किया जा सकता है किंतु मैने दो क्षण में ही उनके उस विशाल शरीर की सात बार प्रदक्षिणा कर ली थी. लेकिन अब अधिक उम्र होने के कारण मेरा शरीर शिथिल पड़ चुका है.


युवराज अंगद ने वापसी करने में प्रकट किया संदेह


युवराज अंगद ने कहा कि मैं सौ योजना का समुद्र लांघ कर पार जाकर सीता माता का पता तो लगा सकता हूं, किंतु मुझे इस बात का संदेह है कि शायद मैं वापस न लौट पाऊं. यदि ऐसा हुआ तो वहां तक जाने का उद्देश्य ही नहीं पूरा होगा. जामवंत जी ने अंगद की बात सुनने के बाद कहा कि तुम तो नेतृत्व कर्ता हो और ऐसी स्थिति में तुम्हें कैसे भेजा जा सकता. तुम तो इन वानरों के नेता और युवराज भी हो तुम्हें तो किसी भी स्थिति में नहीं भेजा जा सकता है क्योंकि तुम ही तो हो जिसे इन सभी वानरों का मार्गदर्शन करना है. 


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