Maa Laxmi Pauranik Katha: हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इस साल आज यानी 10 मई को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस पावन अवसर पर खरीदारी करने से सुख समृद्धि का वास होता है और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है. 
 


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श्री हरि के चरणों क पास क्यों बैठती हैं मां लक्ष्मी?
अक्षय तृतीया पर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-शांति, धन वैभव की कमी नहीं होती है. आपने तस्वीरों में देखा होगा कि मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों के पास बैठती हैं. क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? आइए जानते हैं इसकी कहानी.



पढ़ें पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवर्षि नारद मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए उनके पास पहुंचे. लेकिन विष्णु जी निद्रा में थे इसलिए देवर्षि नारद ने प्रतीक्षा करने का विचार किया. उन्होंने देखा की श्री हरि के चरणों के पास मां लक्ष्मी बैठी हैं. ये देख कर उनके मन में सवाल आया कि धन की देवी हमेशा उनके चरणों के पास ही क्यों बैठती हैं. इस सवाल को लेकर नारद जी का मन बेचैन हो गया और उन्होंने मां लक्ष्मी से पूछ ही लिया.


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बनते हैं धनलाभ के योग
नारदी जी का जवाब देते हुए मां लक्ष्मी कहती हैं कि स्त्री के हाथ में देव गुरु बृहस्पति का वास होता है. वहीं, पुरुषों के पैर में दैत्य गुरु शुक्राचार्य का वास होता है. इससे जब भी मां लक्ष्मी विष्णु जी के चरणों से पास बैठती हैं तो शुभता और धन का आगमन होता है. मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी केवल बैठती नहीं है बल्कि श्री हरि के चरण भी दबाती हैं. जब एक स्त्री पुरुष के चरण स्पर्श करती हैं तो देव और दानव का मिलन होता है और धनलाभ के योग बनते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)