Sawan 2023: जानें भगवान शिव के त्रिशूल, डमरू और धनुष का रहस्य, गले में क्यों धारण करते हैं सांप?
Shravan Month 2023: सावन का पवित्र महीना चल रहा है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है. भोलेशंकर की महिमा अपरम्पार है. वह केवल एक लोटा जल चढ़ाने भर से प्रसन्न हो जाते हैं. आपने भगवान शिव के श्रंगार और शस्त्रों पर गौर किया होगा. उनके द्वारा धारण किए जाने वाले हर एक चीज के पीछे रहस्य छिपा हुआ है.
Lord Shiva: भगवान भोलेनाथ अपने एक हाथ में डमरू धारण करते हैं तो त्रिशूल भी साथ में रहता है. उनका धनुष भी अनंत शक्तिशाली है, जिसे माता जानकी ने तो खिसका दिया, किंतु बड़े-बड़े शूरवीर उसे हिला तक नहीं सके. कपड़ों के नाम पर वह बाघम्बर धारण करते हैं. आइए जानते हैं इन सबका क्या है गूढ़ रहस्य.
त्रिशूल
शिवजी का त्रिशूल इच्छा शक्ति, क्रिया शक्ति और ज्ञान शक्ति रूपी तीन मूलभूत शक्तियों का प्रतीक है. इसी त्रिशूल से वह न्याय करते हैं. महादेव इसी से सत्व, रज और तम तीन गुणों को भी नियंत्रित रखते हैं, जो किसी भी व्यक्ति में पाए जाते हैं.
डमरू
भगवान शंकर के हाथ में डमरू नाद ब्रह्म का प्रतीक है. जब डमरू बजता है तो आकाश, पाताल एवं पृथ्वी एक लय में बंध जाते हैं. यह रिदम का प्रतीक है और बिना रिदम के जीवन में कुछ भी नहीं है. हृदय की गति भी एक रिदम पर है.
पिनाकपाणि
महादेव को पिनाकपाणि भी कहा जाता है, क्योंकि उनके धनुष का नाम पिनाक है. यह एक ऐसा शक्तिशाली धनुष है, जिसे शिवजी के अतिरिक्त कोई नहीं चला सकता है. इस धनुष में अनंत शक्ति है. यही कारण था कि शिवजी के उस धनुष को जब माता जानकी ने एक स्थान से उठाकर दूसरी जगह रख दिया तो उनके शक्ति स्वरूप होने का परिचय मिल गया, तभी तो महाराज जनक ने सीता के स्वयंवर में धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रख दी. वह जानते थे स्वयं भगवान ही उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा सकते हैं और वही हुआ. शिवजी के आराध्य श्रीराम ने उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई.
योगीश्वर
शिवजी के गले में सांप लिपटे रहते हैं, जो उनके योगेश्वर रूप का प्रतीक है. उनके गले में सांप तीन बार लिपटे दिखते हैं जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य का प्रतीक है. शक्ति की कल्पना कुंडली की आकृति जैसी की गई है, इसलिए उसे कुंडलिनी कहते हैं.
बाघंबर
शिवजी वस्त्र के रूप में बाघ की खाल यानी बाघंबर धारण करते हैं. महादेव का यह वस्त्र अत्यधिक ऊर्जा युक्त है. देवी की कृपा से ये वस्त्र ऊर्जा शक्ति का प्रतीक है.
जन्म-मृत्यु
शिवजी अपना श्रृंगार श्मशान की राख से करते हैं. उनका एक रूप सर्वशक्तिमान महाकाल का भी है. वे जन्म और मृत्यु के चक्र पर नियंत्रण करते हैं. श्मशान की राख जीवन के सत्य को परिभाषित करती है.
वृषभ
वृष अथाह शक्ति का परिचायक है. यह कामवृत्ति का प्रतीक भी है. संसार के पुरुषों पर वृष सवारी करते हैं और शिव वृष पर सवार होते हैं, क्योंकि वह जितेंद्रिय हैं.
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