Pradosh Vrat in 2023: आदिदेव महादेव की कृपा कौन नहीं पाना चाहता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार, शिवजी की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय है प्रदोष व्रत. इस व्रत को करने से भोले भंडारी सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं. सबसे सुंदर बात यह है कि इस व्रत को महिला अथवा पुरुष कोई भी कर सकता है. इस व्रत के महात्म्य को पवित्र गंगा नदी के तट पर श्री सूत जी ने सौनक आदि ऋषियों के समूह के बीच सुनाया था. 


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सूत जी के कथन के अनुसार, कलियुग में जब मनुष्य धर्म के आचरण से हटकर अधर्म की राह पर जा रहा होगा. हर तरह अन्याय, अत्याचार और पापाचार का बोलबाला होगा, उस समय प्रदोष व्रत ही ऐसा व्रत होगा जो मनुष्य को शिवजी की कृपा का पात्र बनाएगा. व्रत का प्रभाव उसे नीच गति से मुक्ति दिलाकर शिवलोक को प्राप्त कराएगा. 


सूत जी ने विद्वान ऋषियों से आगे कहा कि प्रदोष व्रत के पुण्य से कलयुग में मनुष्य के सभी प्रकार के पाप और कष्ट नष्ट हो जाएंगे. यह व्रत अत्यधिक कल्याणकारी है. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होगी. सावन में व्रत रखने वाले प्रदोष की शुरुआत इसके साथ ही कर सकते हैं. 


विधि 


प्रत्येक मास में दो पक्ष होते हैं, कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. इस व्रत में महादेव भोलेशंकर की पूजा की जाती है. इस व्रत में उपासक को प्रातःकाल स्नान आदि करने के बाद शिव मंदिर अथवा अपने घर पर ही शिवलिंग पर बिल्व पत्र, गंगा जल, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए, साथ ही धूप दीप से उनकी आरती उतारनी चाहिए. संध्या काल में पुनः स्नान करके इसी प्रकार शिवजी की आराधना करें. प्रदोष व्रत करने से उपासक को पुण्य के साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.


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